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गोताबाया के राष्ट्रपति बनने पर तमिलनाडु नेताओं ने जताई चिंता

श्रीलंका में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में गोताबाया राजपक्षे के नए राष्ट्रपति बनने पर तमिलनाडु के लगभग सभी राजनितिक दलों ने गहरी चिंता जताई है।

श्रीलंका में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में गोताबाया राजपक्षे के नए राष्ट्रपति बनने पर तमिलनाडु के लगभग सभी राजनितिक दलों ने गहरी चिंता जताई है। द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) एवं उनकी सहयोगी पार्टी मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके) तथा अन्नाद्रमुक के सहयोगी विदुथलाई चिरुथगई काची और पट्टली मक्कल काची (पीएमके) ने गोताबाया के राष्ट्रपति बनने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीलंका में रह रहे ईलम तमिलों को सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग की है। 
गोताबाया ने सोमवार को देश के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली है। वह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई है।  गोताबाया पर रक्षा मंत्री रहते हुए जातीय युद्ध के अंतिम चरण के दौरान मई 2009 में तमिलों का नरसंहार करने के आरोप हैं। उन पर लगे इस आरोप के बाद से तमिलनाडु में लगभग सभी राजनीतिक दल श्री गोताबाया को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराधों और बड़ पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए मामला दर्ज करने की मांग की थी। यह मांग संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के मंच पर भी यह समय-समय पर की जाती रही है। 
परंपरागत रूप से तमिलनाडु के लोग श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में रहने वाले तमिलों के साथ पारंपरिक रिश्ता साझा करते हैं। एमडीएमके के महासचिव वाइको और पीएमके के संस्थापक डॉ एस रामदास श्रीलंका में एक अलग तमिल ईलम क्षेत्र के लिए जनमत संग्रह कराने तथा तमिलों के सामान अधिकारों की मांग कर रहे है। 
केवल यहीं नहीं बल्कि अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता ने भी कई बार अपने इस रुख पर अड़ रहीं कि  महिंद्रा राजपक्षे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा युद्ध अपराधों, तमिलों के नरसंहार, मानवाधिकारों के उल्लंघन के अपराध में मामला दर्ज करना होगा। श्रीमती जयललिता अपनी आखिरी सांस तक अपने इस रुख पर कायम रही थीं।

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