दुमका, (पंजाब केसरी ) : सावन महीने की पहली सोमवारी के अवसर पर बाबा फौजदारी नाथ की नगरी बासुकीनाथ में चारों ओर सन्नाटा पसरा रहा। हर घड़ी बोल बम के जयकारों से गूंजने वाला बाबा बासुकीनाथ की नगरी में श्रावणी मेला के आयोजित नहीं होने से नगर वासियों के ऊपर गमों का पहाड़ टूटा नजर आ रहा था। भगवाधारी शिव भक्तों की जगह खाकी वर्दीधारी पुलिस वालों ने ले ली थी। बोल बम के नारों की गूंज के बदले पंडा पुरोहित एवं दुकानदार मेला नहीं लगने का शोक में डूबे थे। सावन के सोमवारी में श्रद्धालुओं के सैलाब से डूबा रहने वाला शिव भक्तों के धाम बासुकिनाथ में इक्का-दुक्का भक्त मुश्किल से दिखाई दिए।
राज्य सरकार एवं हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन कराने के लिए पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती देखी गई। मंदिर परिसर के चारों ओर पुलिस ने बैरीकटिंग कर मजबूत सुरक्षा चक्र का निर्माण कर रखा था।बासुकिनाथ के प्रवेश एवं निकास द्वार पर बनी चेक पोस्टों के माध्यम से बाहरी लोगों एवं वाहनों के प्रवेश को रोका गया था। जिला प्रशासन की टीम पल-पल की गतिविधियों की मॉनिटरिंग में लगी थी।
पंडा पुरोहित अपने यजमानों को ऑनलाइन दर्शन कराते देखे गए।सदियों से चली आ रही निर्वाध पूजा-पाठ पर कोरोना काल में अंकुश लग जाने से श्रावणी मेला भी पूरी तरह प्रभावित हुआ है। महामारी की त्रासदी ने तीनों लोकों के स्वामी भोलेनाथ को भी नहीं छोड़ा। लाखों लाख भक्तों के जलाभिषेक से श्रावण महीने में मस्त रहने वाले महादेव के ऊपर जल नहीं चढ़ना इस संसार के लिए किसी ऐतिहासिक त्रासदी से कम नहीं है। पंडित प्रवीण पांडे के अनुसार श्रावण महीने में बाबा फौजदारी नाथ कोरोना संकट के भंवर जाल में फंसे संपूर्ण मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
महामारी के इस संकट से बाबा फौजदारी नाथ की कृपा से लोगों को निजात मिल जाएगा।श्रावणी मेला में कांवरियों से चौबीसों घंटे गुलजार रहने वाला बासुकिनाथ को कोरोना के नजर लग जाने से सब का धंधा चौपट हो गया है। लाखों की कमाई करने वाले पंडा पुरोहित एवं दुकानदारों को फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हो पा रहा है। बाहर वाले भी यहां होने वाले श्रावणी मेला पर वर्षों से नजर गड़ाए रहते थे। देश विदेश से आए श्रद्धालुओं की कमाई से सालों भर भरण पोषण करने वाले लोगों के मुंह की लाली छीन गई है। श्रावणी मेला में कमाई नहीं होने के गम से सैकड़ों परिवारों के ऊपर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है।
बीते मार्च महीने से कोरोना के मार से टूट चुकी आम लोगों की कमर मेला की आस में बैठे थे। लेकिन मेला पर प्रतिबंध लग जाने से इनकी उम्मीदों पर पानी फिर चुका है। कर्ज के बोझ से लड़खड़ाती जिंदगी अपने भविष्य को लेकर चिंता के समंदर में डूबी हुई है। मेले में घूम घूम कर सिंदूर चूड़ी लहठी माला झोला एवं अन्य सामग्रियों को बेचकर गुजारा करने वाले परिवार निशब्द है। लोगों का कहना है सरकार द्वारा चावल और गेहूं के पैकेट से अब जिंदा रहना टेढ़ी खीर है।
पंडा समाज के लोग भी किसी प्रकार के सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिलने से दुखी है। पंडा धर्म रक्षिणी सभा के महामंत्री पंडित संजय झा मुख्यमंत्री के सहायता दिए जाने के आश्वासन पर अभी भी उम्मीद टिकाए हुए हैं। वही पंडित राम झा ने भी मुख्यमंत्री से सहायता की गुहार लगाई।