गुजरात में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले है, लेकिन चुनाव से पहले राज्य के सबसे चर्चित बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार का मामला सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मामले में आरोपियों की रिहाई को लेकर सभी पार्टियों के बीच एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। बता दे कि अपने चुनावी घोषणापत्र में इस मुद्दे का जिक्र करने एवं पीड़िता को न्याय दिलाने का वादा करने वाली विपक्षी कांग्रेस को इससे लाभ होगा या नहीं, इसे लेकर लोगों की राय बंटी हुई है।
ये मामला विपक्षी दल को वोट जुटाने में करेगा मदद
आपको बता दे कि एक समूह को लगता है कि 20 साल पुराने इस मामले से जुड़ा यह ताजा घटनाक्रम विपक्षी दल को वोट जुटाने में मदद करेगा, लेकिन अन्य लोगों का मानना है कि इसका चुनाव में कोई असर नहीं दिखेगा। विधानसभा चुनाव के लिए एक दिसंबर और पांच दिसंबर को मतदान होना है।कांग्रेस ने कुछ दिन पहले अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था, जिसमें उसने कहा था कि वह राज्य सरकार द्वारा 2002 के बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने की छूट को रद्द कर देगी।इन लोगों को 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्हें 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था।
विधानसभा चुनाव में बिलकिस बानो का मुद्दा अहम
गुजरात में 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को होगा तथा मतगणना आठ दिसंबर को होगी। राज्य में वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में है।बिलकिस बानो दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली है, जो लिमखेड़ा विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है। यह सीट इस समय भाजपा के पास है।दोषियों को दी गई राहत का विरोध करने वाले कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के रुख ने मुसलमानों के वोट को अपने पक्ष में कर लिया है और उन्हें आम आदमी पार्टी (आप) एवं लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का रुख करने से रोक लिया है।