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महाकौशल के नतीजे रहे उलट पलट, कांग्रेस ने जीती 25 सीटें

आठ विधानसभा सीट में से चार पर कांग्रेस तथा चार पर भाजपा प्रत्याशी को विजय मिली। यहां इस बार भाजपा को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कल आए नतीजे में महाकौशल क्षेत्र में हार जीत के आंकड़े उलट पलट रहे। यहां कांग्रेस ने पच्चीस सीटें जीतीं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तेरह सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। ये नतीजे पिछले चुनाव से उल्टे रहें, वर्ष 2013 में भाजपा ने यहां पच्चीस सीटें जीतीं थी जबकि कांग्रेस को 13 सीटें मिली थीं। महाकौशल क्षेत्र के आठ जिलों में कुल 38 विधानसभा सीट है। जिसमें सें 24 पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी हुए है और एक सीट पर कांग्रेस के बागी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की है। उनके कांग्रेस में शामिल होने की अधिकारिक घोषण आज शाम तक हो सकती है। भाजपा को महाकौशल क्षेत्र में सिर्फ 13 सीट प्राप्त हुई है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा को 25 तथा कांग्रेस को 13 सीट प्राप्त हुई थी। महाकौशल के आठ जिलों में से पांच जिले आदिवासी बाहुल्य है। आदिवासी बाहुल्य छिंदवाड़ जिले में भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलानाथ छिंदवाड़ लोकसभा सीट से सांसद है।

छिंदवाड़ जिले की सातों विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी रहे और भाजपा को चार विधानसभा सीट को नुकसान हुआ। पिछली बार छिंदवाड़ जिले से चार भाजपा के तथा तीन कांगेस के विधायक निर्वाचित हुए थे। इसी प्रकार आदिवासी बाहुल्य डिण्डौरी जिले की दोनो विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विजरी रहे। भाजपा शासन काल में मंत्री रहे ओम प्रकाश धुर्वे को भी शहपुरा सीट पर पराजय का सामना करना पड़ा। आदिवासी बाहुल्य सिवनी जिलें की चार विधानसभा सीट में से दो पर कांग्रेस तथा दो पर भाजपा को जीत मिली।

पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस जिले से दोनों पार्टी को दो-दो सीट मिली थीं। आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले की तीन सीट में से दो पर कांग्रेस तथा एक पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में इस जिले से भाजपा के खाते में दो तथा कांग्रेस के एक सीट आई थी। आदिवासी बाहुल्य बालाघाट जिले की 6 सीट में से चार सीट कांग्रेस तथा दो सीट पर भाजपा विजयी रही। वारासिवनी सीट पर कांग्रेस के बागी प्रदीप जायसवाल निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजय रहे।

 इस सीट से कांग्रेस ने भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह को टिकिट दी थी। वह हाल में ही कांग्रेस में शामिल हुए थे और चौथे स्थान पर थे। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल करने वाने प्रदीप जायसवाल इस सीट से तीन बार लगातार विधायक रह चुके तथा चौथी बार वर्ष 2013 में उन्हें पराज्य का सामना करना पड़ा था। इस जिले से भाजपा को दो सीट का नुकसान हुआ है।

 कटनी जिले की चार सीट में से तीन पर भाजपा तथा एक पर कांग्रेस प्रत्याशी ने विजय हासिल की। वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में भी सामान आंकड़ा था। नरसिंहपुर जिले की चार विधानसभा सीट में से तीन पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी हुए, एक सीट भाजपा के खाते में गयी। पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस का सुपड़ साफ हो गया था। जबलपुर जिले की आठ विधानसभा सीट में से चार पर कांग्रेस तथा चार पर भाजपा प्रत्याशी को विजय मिली। यहां इस बार भाजपा को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

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