असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को कहा कि शनिवार को प्रकाशित होने जा रही अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जो लोग छूट गये हैं उनकी चिंताओं पर राज्य सरकार ध्यान देगी और सुनिश्चित करेगी कि किसी का ‘अनावश्यक उत्पीड़न’ नहीं हो।
मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा कि जब तक अपीलकर्ता की याचिका विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में विचाराधीन है तब तक उन्हें विदेशी नहीं माना जा सकता। इसलिए उन्होंने राज्य में बराक, ब्रह्मपुत्र, पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों के लोगों से अपील की कि अमन चैन बनाये रखें और परिपक्व समाज की मिसाल पेश करें।
सोनोवाल ने यह भरोसा भी दिलाया कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किये गये हैं, उन्हें अपील दाखिल करने का मौका मिलेगा और केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में उनका पक्ष सुना जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘एफटी में अपील दाखिल करने की समयावधि 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन करने से सूची से छूट गये सभी लोगों को एक समान अवसर मिलेगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘किसी का अनावश्यक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि एनआरसी हजारों लोगों के अथक प्रयासों का नतीजा है और असम की जनता के बिना शर्त समर्थन के कारण यह संभव हो पाया है। असम में अंतिम एनआरसी का प्रकाशन शनिवार को किया जाएगा। असम एकमात्र राज्य है जहां 1951 के बाद सूची में संशोधन किया जा रहा है।