मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल हैं और इसको लेकर सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस की बैठकों का दौर चल रहा है, सियासी गणित पर मंथन हो रहा है और इस मंथन से अमृत निकलने की बारी है।
चुनाव से पहले सत्तारूढ व विपक्षी दलों ने मंथन व फैसलों की पकड़ी राह
राज्य में वर्ष 2018 में विधानसभा के चुनावों के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल चाहकर भी भुला नहीं पा रहे हैं। इसी की वजह है, क्योंकि कांग्रेस केा जहां पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, वहीं भाजपा के हाथ से करीब से सत्ता खिसक गई थी। यही कारण है कि दोनों दलों ने चुनाव से एक साल पहले ही मंथन और फैसलों की राह पकड़ ली है।
भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने पकड़ा दिल्ली का रूख
कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों की बैठकें अब दिल्ली की तरफ रुख कर गई हैं। कांग्रेस के राज्य के बड़े नेताओं की जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ व दिग्विजय सिंह के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव शामिल हैं, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से कई दौर की मुलाकात कर चुके हैं।
कमलनाथ ने छोड़ा नेता विपक्ष का पद, गोविंद सिंह को मिली जिम्मेदारी
कांग्रेस नेताओं के बीच चली बैठकों के दौर के नतीजे भी सामने आने लगे हैं, कमल नाथ ने विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है और उनके स्थान पर सात बार के विधायक डा गोविंद सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसे पार्टी के मंथन से निकला अमृत बताया जा रहा है।
दिल्ली में भाजपा कोर कमेटी ने किया विधानसभा चुनाव 2023 का रोडमैप तैयार
दूसरी ओर भाजपा की कोर कमेटी की भी दिल्ली में बैठक हुई। इस बैठक के बार में अब तक तो कोई बड़ी बात सामने नहीं आई है, मगर इतना जरुर कहा जा रहा है कि पार्टी ने अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव के लिए रोड मैप तय कर दिया है। अब लोग इंतजार कर रहे हैं कि क्या इस मंथन से भी कोई अमृत निकलने वाला है।