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कर्नाटक में ऑक्सीजन की भारी कमी, लेकिन कम हो रहे कोरोना के केस

कर्नाटक में वेंटिलेटर पर डाले गए कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए केंद्रीय कोटे के तहत प्रतिदिन 1,200 टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) की मांग की तुलना में, राज्य को काफी कम आपूर्ति हो रही है।

देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ है इस दौरान कर्नाटक कोविड-19 की दूसरी लहर में देश का सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक रहा है। इसी बीच  कर्नाटक में वेंटिलेटर पर डाले गए कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए केंद्रीय कोटे के तहत प्रतिदिन 1,200 टन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) की मांग की तुलना में, राज्य को काफी कम आपूर्ति हो रही है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखे जाने और कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के हिस्से की ऑक्सीजन आपूर्ति के निर्देश दिए जाने के बावजूद यह स्थिति है। अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 30 मई को राज्य को आवश्यकता का आधा हिस्सा यानी 545.85 टन ऑक्सीजन ही मिली। इसके अलावा, राज्य को 29 मई को 791.85 टन, 28 मई को 686 टन, 27 मई को 730 टन, 26 मई को 875.07 टन और 24 मई को 728 टन ऑक्सीजन ही मिल पाई। 
कर्नाटक में आठ ऑक्सीजन उत्पादक इकाइयां चिकित्सा ऑक्सीजन का प्रमुख स्रोत हैं, जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। हालांकि वे भी मांग पूरी करने में असमर्थ हैं। राज्य की ऑक्सीजन उत्पादक इकाइयों के अलावा, कर्नाटक को टाटा अंगुल, जामनगर और राउरकेला इस्पात संयंत्र से ऑक्सीजन मिल रही है।
इस साल मार्च के पहले सप्ताह में शुरू हुई कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, राज्य में संक्रमण के दैनिक मामले 40,000 से 50,000 के बीच आ रहे थे। राज्य में 27 अप्रैल से लागू कड़े प्रतिबंध सात जून तक प्रभावी रहेंगे। इन प्रतिबंधों के कारण राज्य में कोविड-19 महामारी के मामलों में कमी आई है। सोमवार को, राज्य में कोविड​​-19 के 16,604 नए मामले आए और 411 लोगों की मौत हुई, जबकि 3.14 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। हालांकि, राज्य में उपचाराधीन मरीजों की अधिक संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन की मांग अधिक है।

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