देश के उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिला में सोनमुरा के भेलूआर्चर इलाके में बांग्लादेश जाते हुए दो महिलाएं और पांच बच्चों समेत आठ रोहिंग्या मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया हैं। पुलिस ने बताया कि इन लोगों को गुरूवार को गिरफ्तार किया गया हैं। पुलिस ने इन्हें अदालत में पेश कर आगे की कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पुलिस ने नियमित वाहन जांच के दौरान पांच बच्चों के साथ तीन वयस्कों को बोक्सानगर की सीमा की ओर जाते देखा। इसके बाद पुलिस ने जब इन लोगों से पूछताछ की तो इन लोगों ने स्वीकार किया कि वे दिल्ली के रोहिंग्या शिविर से आए हैं सीमा पार जा रहे हैं।
रात में सीमा पार करने की थी योजना
पुलिस पूछताछ के दौरान इन लोगों ने बताया कि वे तीन दिन पहले दिल्ली से ट्रेन से गुवाहाटी आए और फिर गुवाहाटी से अगरतला के लिए बस ली। इन लोगों ने बताया कि उनकी योजना बोक्सानगर इलाके में बिना बाड़ वाले इलाके में रात में सीमा पार करने की थी। पकड़े गए रोहिंग्याओं की पहचान अब्दुल हासिम (29), फातेमा बेगम (30), मनीषा (32) और नाबालिग अली, सुलेमान, इसाक, तहिदुल इस्लाम और मोफिजुल इस्लाम के रूप में हुई है।
रात में सीमा पार करने की थी योजना
पुलिस पूछताछ के दौरान इन लोगों ने बताया कि वे तीन दिन पहले दिल्ली से ट्रेन से गुवाहाटी आए और फिर गुवाहाटी से अगरतला के लिए बस ली। इन लोगों ने बताया कि उनकी योजना बोक्सानगर इलाके में बिना बाड़ वाले इलाके में रात में सीमा पार करने की थी। पकड़े गए रोहिंग्याओं की पहचान अब्दुल हासिम (29), फातेमा बेगम (30), मनीषा (32) और नाबालिग अली, सुलेमान, इसाक, तहिदुल इस्लाम और मोफिजुल इस्लाम के रूप में हुई है।
10 वर्ष पहले म्यांमार से आए थे बांग्लादेश
गिरफ्तार रोहिंग्याओं ने पुलिस को बताया, मौजूदा समय में उनके पास दिल्ली में कोई काम नहीं था, जिससे शिविर में उनका रहना मुश्किल हो गया था। इसलिए वे बांग्लादेश चले जाना चाहते थे और इसके लिए त्रिपुरा सीमा का विकल्प चुना गया। क्योंकि पश्चिम बंगाल की सीमा पर अब सख्ती बढ़ गयी है। ये लोग लगभग 10 साल पहले म्यांमार से बांग्लादेश के रोहिंग्या शिविर में चले गए थे और अब वापस लौटना चाहते हैं।
गिरफ्तार रोहिंग्याओं ने पुलिस को बताया, मौजूदा समय में उनके पास दिल्ली में कोई काम नहीं था, जिससे शिविर में उनका रहना मुश्किल हो गया था। इसलिए वे बांग्लादेश चले जाना चाहते थे और इसके लिए त्रिपुरा सीमा का विकल्प चुना गया। क्योंकि पश्चिम बंगाल की सीमा पर अब सख्ती बढ़ गयी है। ये लोग लगभग 10 साल पहले म्यांमार से बांग्लादेश के रोहिंग्या शिविर में चले गए थे और अब वापस लौटना चाहते हैं।