उत्तराखंड स्थित श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद लगभग एक सप्ताह में अर्थात, शुक्रवार शाम तक कुल दो लाख, 45 हजार, 664 श्रद्वालु दर्शन कर चुके हैं। सप्ताहांत यानी शनिवार और रविवार को नित्य दर्शन करने वालों की संख्या और बढ़ने की संभावना है।
राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने आज इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुये, सचिवालय में चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में उच्चाधिकारियों एवं सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि चारधाम व्यवस्था सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि वीकेंड में श्रद्धालुओं के बढ़ने की सम्भावना है, जिसके लिए समुचित व्यवस्थाएं पूर्व से ही सुनिश्चित कर ली जाएं।
डा. सन्धु ने कहा कि बिना पंजीकरण वाले यात्रियों को आगे जाने से रोका जाए। साथ ही, यात्रियों के रूकने के लिए उचित स्थानों पर टेंट सिटी का निर्माण किया जाए। यात्रियों को ऐसी जगहों पर रोका जाए, जहां उनके रुकने के लिए व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने कहा कि ओवर चार्जिंग से प्रदेश की छवि खराब होती है। इसे रोकने के लिए यात्रा मार्गों में उसके लिए कठोर कदम भी उठाए जाएं। साथ ही, ऐसे व्यक्तियों पर चालान करने के साथ ही, अरेस्ट भी किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा सुव्यवस्थित तरीके से चल सके, इसके लिए राज्य आपदा प्रचालन केंद, कंट्रोल रूम को एक्टिवेट कर दिया गया है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को जिला आपदा परिचालन केंद्रों को भी एक्टिवेट करते हुए चारधाम यात्रा से सम्बन्धित सभी जानकारियां साझा करने हेतु आपदा परिचालन केंद्रों को चारधाम यात्रा कंट्रोल रूम के रूप में प्रयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्गो में समुचित मात्रा में टॉयलेट विशेषकर महिला टॉयलेट एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने पैदल यात्रियों की सुविधा के लिए मार्ग में ऑडियो संदेश के माध्यम से लगातार हेल्थ एडवाइजरी एवं अन्य जानकारियों का प्रसारण किया जाए।
मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग को यात्रा मार्ग में जाम की समस्या को दूर करने और कंजेशन को कम करने के लिए मालवाहक वाहनों को रात्रि के 10 बजे से प्रात: 4 बजे तक के प्रतिबंधित समय में भी संचालन की अनुमति दिए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि रात्रि को चलने वाले मालवाहक वाहनों के चालकों और परिचालकों की जगह-जगह पर चैकिंग कर यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि उन्होंने मदिरा आदि का नशा न किया हो। उन्होंने कहा कि वाहन चालक बहुत लम्बी यात्रा कर थके न हों और लम्बे समय से जागे न हों, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इसके साथ ही, यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि कोई मालवाहक वाहनों की आड़ में यात्रियों को लेकर रात्रि में यात्रा न करे।
इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, सचिव परिवहन अरविन्द सिंह ह्यूंकि सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चारधाम यात्रा से सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी उपस्थित थे।
इसके अतिरिक्त, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के प्रवक्ता डाक्टर हरीश गौड़ ने यूनीवार्ता को बताया कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि आठ मई से आज 13 मई शाम तक कुल 97 हजार 672 भक्त दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि धाम में आज सुबह से शाम चार बजे तक 11 हजार 378 श्रद्धालु आये हैं। उन्होंने बताया कि श्री केदारनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि छह मई से 13 मई तक कुल एक लाख, 47 हजार, 992 श्रद्वालु दर्शन को आ चुके हैं। मात्र आज ही सुबह से शाम चार बजे तक 13 हजार 948 भक्तों ने दर्शन किये हैं। उन्होंने बताया कि दोनों धामों में पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या का योग दो लाख 45 हजार 664 है।
केदारनाथ में यात्रियों के लिए तैनात हुई आईटीबीपी
चारधाम के लिए तीर्थयात्रियों की भारी आमद के बाद सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस को केदारनाथ मंदिर परिसर में तैनात किया गया है।
जिला प्रशासन के अनुरोध पर विभिन्न स्थानों पर आईटीबीपी की टीमें सुरक्षा की ²ष्टि से यात्रियों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रख रही हैं, जिससे कहीं कोई दिक्कत ना हो।
आपको बता दें कि वर्तमान समय में मंदिर में एक दिन में 20,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा सोनप्रयाग, ऊखीमठ और केदारनाथ जैसे स्थानों पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
आईटीबीपी के पीआरओ विवेक पांडे ने कहा है, हिमालयी क्षेत्र में फोर्स ने केदार घाटी और मंदिर परिसर में अपने सुरक्षा कर्मियों को जिला प्रशासन के अनुरोध पर तैनात किया है।
साथ ही उन्होंने आगे कहा, सुरक्षा के अलावा, भीड़ प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कार्य बन जाता है जब तीर्थयात्रियों की आमद इतनी अधिक हो।
हिमालयी सीमा सुरक्षा बल ने क्षेत्र में अपनी आपदा प्रबंधन टीमों के साथ-साथ ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ चिकित्सा टीमों को भी तैनात किया है। इसके अलावा पांडेय ने कहा कि, राज्य प्रशासन की मदद से आपात स्थिति में चिकित्सीय अभ्यास और जरूरत पड़ने पर लोगों को निकालने का अभ्यास किया जा रहा है।
स्थानीय नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है, अतीत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की कुछ घटनाएं हुई हैं और यह देखा गया है कि लगभग दो साल बाद कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में तीर्थयात्री धार्मिक स्थलों का दौरा कर रहे हैं।
केदारनाथ मंदिर 6 मई को खोला गया था और अब तक 1.30 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं।
बद्रीनाथ मंदिर में भी, आईटीबीपी की टीमें ‘दर्शन’ के सुचारू संचालन और तीर्थयात्रियों की भीड़ के प्रबंधन के लिए मंदिर और नागरिक प्रशासन की मदद कर रही हैं।
पीछले दो सालों से कोविड चल रहा था तो यहां आने की अनुमति नही थी, इसीलिए इस साल चार धाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की अभूतपूर्व भीड़ देखी जा रही है।
चारधाम यात्रा : परिवहन विभाग की मनमानी, मानक से ज्यादा लंबी बसें भेजी
यात्रियों की जिंदगी की परवाह न करते हुए उत्तराखंड परिवहन विभाग के अधिकारियों ने सांठगांठ कर तीन ऐसी निजी बसों को चारधाम यात्रा का ग्रीन कार्ड जारी कर दिया, जो पर्वतीय मार्गों पर संचालन के मानक पूरे ही नहीं करती।
यही नहीं, तीनों बसें ट्रिप कार्ड लेकर चारधाम के लिए रवाना भी हो गईं, तब उच्चाधिकारियों को इसका पता चला।
तीनों बसों की लंबाई तय मानक से अधिक बताई जा रही है। इनमें दो बसों को नारसन चेकपोस्ट से ग्रीन कार्ड मिला, जबकि एक बस ने ऋषिकेश से ग्रीन कार्ड लिया।
आरटीओ प्रशासन दिनेश चंद्र पठोई ने खुद मामले की जांच शुरू कर दी है।
जांच के क्रम में वह गुरुवार को ऋषिकेश स्थित एआरटीओ कार्यालय पहुंचे और एआरटीओ अरविंद पांडेय से संबंधित बस के रिकार्ड तलब किए। आरटीओ ने बताया कि एक बस हरियाणा नंबर की है, जबकि शेष दो बसें उत्तर प्रदेश के नंबर की हैं।
जांच में यह भी पता चला कि तीनों बसों ने यात्रा से पहले हरिद्वार एआरटीओ कार्यालय में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया था। वहां जब फिटनेस जांच हुई तो लंबाई अधिक होने से इनका ग्रीन कार्ड आवेदन निरस्त कर दिया गया। इसके बाद सांठगांठ कर इन बसों में से दो बसों को नारसन चेकपोस्ट से, जबकि एक बस को ऋषिकेश से ग्रीन कार्ड जारी कर दिया गया।
आरटीओ ने इस मामले में एआरटीओ ऋषिकेश, हरिद्वार व रुड़की से तीनों बसों की फिटनेस से जुड़े रिकार्ड मांगे हैं। आरटीओ के अनुसार, प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी सामने आई है। जांच पूरी होने पर शासन को भेजी जाएगी।
आरटीओ पठोई ने बताया कि तीनों बसों का ओवरहैंग (पिछला हिस्सा) तय मानक से अधिक है। पर्वतीय मार्ग पर संचालन के लिए ओवरहैंग 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ओवरहैंग बसों के दोनों टायर (अगले व पिछले) की कुल लंबाई का 60 प्रतिशत होता है।
मसनल, अगर किसी बस के दोनों टायरों के बीच की लंबाई 50 फीट है तो उसका ओवरहैंग 30 फीट से अधिक नहीं होना चाहिए। ओवरहैंग पिछले टायर से बस की बॉडी के अंतिम हिस्से तक की नपाई होती है। यदि यह अधिक है तो बस के पर्वतीय मार्ग पर हादसे का खतरा रहता है। घुमाव पर बस मोड़ने में परेशानी होती है एवं पिछला हिस्सा टकराने का खतरा भी बना रहता है।
परिवहन विभाग के पास वाहनों की जांच के लिए संभागीय निरीक्षक (आरआई) की कमी है। यही वजह है कि चारधाम यात्रा में वाहनों की फिटनेस जांच के लिए विभाग को रोडवेज से फोरमैन उपलब्ध कराए गए हैं। इन्हीं में से एक फोरमैन नारसन में जांच कर रहे, जहां से सांठगांठ कर मानक पूरे न करने पर भी ग्रीन कार्ड जारी हो रहे हैं। इसके साथ ही ऋषिकेश में भी यही स्थिति है।