शिवसेना में टूट के बाद दोनों धड़े शिवसेना के सिंबल पर अपना दावा ठोक रहे हैं, लेकिन इसको लेकर चुनाव आयोग अपना फैसला कल सुना सकता हैं। चुनाव आयोग में अपनी दलील देने के लिए आज दिन अतिंम था। लेकिन आज भी उद्धव गुट ने चुनाव आयोग में कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें उद्धव गुट ने शिवसेना पर अपना हक जताते हुए कहा कि पार्टी को छोड़ने वाले लोग पार्टी के सिंबल अपना दावा ठोक सकते हैं। क्योंकि दावा ठोकने वाले दल से बाहर है।
बता दे की महाअघाड़ी सरकार को गिराने के लिए तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के भारी संख्या में विधायक तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। जिसके बाद से ही दोनो धड़े पार्टी के सिबंल पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं। शिंदे समर्थकों का कहना हैं कि अधिकांश पार्टी के सांसद व विधायक एकनाथ शिंदे के पक्ष में हैं, इसलिए पार्टी पर सिर्फ शिंदे का हक हैं। उद्धव गुट चुनाव आयोग की इस मकसद में कार्रवाई को रूकवाने के लिए सुप्रीमकोर्ट में गया था, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर किसी भी प्रकार की रोक ना लगाने को कहकर याचिका को खारिज कर दिया था।
बता दे की महाअघाड़ी सरकार को गिराने के लिए तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के भारी संख्या में विधायक तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। जिसके बाद से ही दोनो धड़े पार्टी के सिबंल पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं। शिंदे समर्थकों का कहना हैं कि अधिकांश पार्टी के सांसद व विधायक एकनाथ शिंदे के पक्ष में हैं, इसलिए पार्टी पर सिर्फ शिंदे का हक हैं। उद्धव गुट चुनाव आयोग की इस मकसद में कार्रवाई को रूकवाने के लिए सुप्रीमकोर्ट में गया था, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर किसी भी प्रकार की रोक ना लगाने को कहकर याचिका को खारिज कर दिया था।
आपको बता दे कि शिवसेना में दोनों धड़े अलग -अलग रणनीति को अख्तियार किए हुए हैं। अगर चुनाव आयोग शिंदे को पार्टी का सिंबल सौंपता हैं। उद्धव ठाकरे के लिए राजनीतिक रूप से एक बहुत झटका माना जाएगा। क्योंकि पार्टी का सिंबल हिंदुत्व को आगे बढ़ाता हैं। शिंदे समर्थक चुनाव आयोग की कार्रवाई पर अपनी पैनी निगाह गढाए हुए हैं। अभी तक शिवसेना के प्रमुख के तौर पर उद्धव ठाकरे ही विराजमान हैं ।
दशहरा रैली में उद्धव को पीछे धकेल चुके हैं शिंदे
शिवसेना पारंपरिक रूप से दशहरे के दिन रैली का आयोजन करती हैं , जंहा कार्यकर्ताओं को संबोधित करके आगे रणनीति बनाने के लिए विचारों को प्रदर्शित किया जाता हैं , लेकिन शिवसेना के इतिहास में पहली बार दशहरें पर दो रैलिया की गयी हैं। जिसमें दोनों धड़े एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते आए। शिंदे ने दशहरा रैली को मुंबई के चर्चित बीकेसी मैदान में थी, जिसमें कार्यकर्ताओं का भारी हूजूम दिखाई दे रहा था , लेकिन उद्धव ठाकरे की दशहरा रैली में शिंदे की रैली के आगे कम व्यक्ति थे।
ठाकरे परिवार में शिंदे की बड़ी सेंध
दशहरा रैली में उद्धव को पीछे धकेल चुके हैं शिंदे
शिवसेना पारंपरिक रूप से दशहरे के दिन रैली का आयोजन करती हैं , जंहा कार्यकर्ताओं को संबोधित करके आगे रणनीति बनाने के लिए विचारों को प्रदर्शित किया जाता हैं , लेकिन शिवसेना के इतिहास में पहली बार दशहरें पर दो रैलिया की गयी हैं। जिसमें दोनों धड़े एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते आए। शिंदे ने दशहरा रैली को मुंबई के चर्चित बीकेसी मैदान में थी, जिसमें कार्यकर्ताओं का भारी हूजूम दिखाई दे रहा था , लेकिन उद्धव ठाकरे की दशहरा रैली में शिंदे की रैली के आगे कम व्यक्ति थे।
ठाकरे परिवार में शिंदे की बड़ी सेंध
उद्धव ठाकरे परिवार के अंदर ही घिरते नजर आ रहे हैं। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब के समय ही पार्टी दो धड़ों में बटी गई थी। लेकिन पार्टी की दहाड़ व गर्जना में कोई फर्क नहीं पड़ा था। लेकिन बगावत के बाद ठाकरे परिवार दो लाइन में बिखर गया हैं। शिंदे की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे के बड़े भाई जयदेव ठाकरे ने भी शिरकत की , जिसके बाद से ही उद्धव ठाकरे के परिवारिक संबंध पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए।