Uttarakhand Disaster : ड्रोन, रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद से बचाव अभियान जारी, 34 शव बरामद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Uttarakhand Disaster : ड्रोन, रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद से बचाव अभियान जारी, 34 शव बरामद

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी सुरंग में फंसे 25-35 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव दलों ने बुधवार को ड्रोन तथा रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद ली। वहीं अब तक 34 शव बरामद हो चुके हैं और करीब 170 अन्य लापता हैं ।

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी सुरंग में फंसे 25-35 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव दलों ने बुधवार को ड्रोन तथा रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद ली। वहीं अब तक 34 शव बरामद हो चुके हैं और करीब 170 अन्य लापता हैं ।       
ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी, जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए ।     उसके बाद से ही सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) द्वारा लगातार बचाव और तलाश अभियान चलाया जा रहा है।  .     
यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, आपदाग्रस्त क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों से अब तक कुल 34 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 170 अन्य अब भी  लापता हैं।       
इस बीच, पूर्व में लापता बताए गए ऋषि गंगा कम्पनी के दो व्यक्ति सुरक्षित घर लौट आए हैं। चमोली के अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी रविंद्र नेगी ने बताया कि चमोली का रहने वाला सूरज सिंह तथा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला राशिद बुधवार को अपने घर लौट आए।   
बचाव कार्य का सबसे मुश्किल पहलू टनों गाद, पानी और मलबे से भरी सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचना है, जो त्रासदी के समय काम कर रहे थे। तपोवन में स्थित यह सुरंग 1500 मीटर लंबी है।     
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रमुख एसएस देशवाल ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को ढूंढने का अभियान तब तक चलेगा जब तक कि वह अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाता। उन्होंने कहा, ” हमें उम्मीद है कि हम उन्हें सुरक्षित निकाल लेंगे।’’   
मौके पर मौजूद उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता और पुलिस उपमहानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे ने तपोवन में ‘भाषा’ को बताया कि सुरंग के अंदर गाद के सूखने और सख्त होने के कारण वहां ड्रिलिंग और मुश्किल होती जा रही है । 
उन्होंने कहा, ” इस समय हमारा सारा ध्यान हमारे पास उपलब्ध सभी संसाधानों जैसे ड्रोन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद से सुरंग के अंदर फंसे लोगों को बचाने पर है ।” 
भरणे ने बताया कि बचाव दल अब तक सुरंग के अंदर 80 मीटर तक पहुंच चुके हैं और अंदर फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए उन्हें टनों मलबे के बीच में से कम से कम 100 मीटर और रास्ता तय करना पडेगा ।     
सुरंग की डिजाइन भी जटिल है जिसे समझने के लिए एनटीपीसी के अधिकारियों से संपर्क साधा गया है। परियोजना सलाहकार एके श्रीवास्तव ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ड्रिल करके छेद बनाने सहित कई उपायों पर विचार किया जा रहा है ।   
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बचाव दलों ने सुरंग के अंदर एक कैमरा लगा ड्रोन भी उड़ाया लेकिन अंधेरे के कारण वह वहां फंसे लोगों को या आगे का रास्ता नहीं देख पाया। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर भी लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है । 

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