देहरादून : उत्तराखंड में राजकीय सेवाओं, निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों व शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती के पदों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर जिस रोस्टर को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक ने मंजूरी दी है, उस पर बवाल मच गया है। सरकार के ही वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य ने कैबिनेट के फैसले पर एतराज जताकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे कैबिनेट के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। मजेदार बात यह है कि कैबिनेट की जिस उपसमिति की सिफारिश पर आरक्षण के रोस्टर के प्रस्ताव पर मुहर लगी, उसकी अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ही कर रहे थे।
कैबिनेट मंत्री के एतराज की वजह आरक्षण के रोस्टर में पहला पद अनुसूचित जाति के स्थान पर सामान्य वर्ग के लिए चिह्नित किया जाना है। कैबिनेट ने केंद्र सरकार की तर्ज पर आरक्षण का रोस्टर निर्धारित किया। इसके तहत रोस्टर से अनुसूचित जाति का पद पहले स्थान से हट गया और छठे स्थान से इसकी शुरुआत का प्रावधान किया गया है।
कार्मिक विभाग पर बरसे आर्य : पत्र में आर्य ने कार्मिक विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में कार्मिक विभाग ने रोस्टर क्रमांक एक के स्थान पर क्रमांक छह से प्रारंभ किए जाने का स्पष्ट प्रस्ताव नहीं रखा।
उन्होंने बैठक में ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया कि सीधी भर्ती के लिए निर्धारित रोस्टर के क्रमांक को बदला जाए। उनके द्वारा बैठक में बार-बार स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे कि सभी विभाग संवर्गवार अपना रोस्टर रजिस्टर बनाएं और उसका स्पष्ट रख रखाव करें।