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16 करोड़ का इंजेक्शन लगने के बाद भी नहीं बची नन्ही वेदिका की जान

16 करोड़ का महंगा इंजेक्शन लगने के बाद भी नन्ही वेदिका को बचाया नहीं जा सका। कई लोगों द्वारा दी गयी वित्तीय मदद के बाद वेदिका को 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगाया गया था।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए टाइप ई-1) नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही 13 महीने की वेदिका शिंदे ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 16 करोड़ का महंगा इंजेक्शन लगने के बाद भी नन्ही वेदिका को बचाया नहीं जा सका। कई लोगों द्वारा दी गयी वित्तीय मदद के बाद वेदिका को 16 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगाया गया था।
रविवार को पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में वेदिका की मौत हो गई। वेदिका की मौत के कुछ घंटे पहले ही उसके परिवार के सदस्यों ने सोशल मीडिया पर उसकी सेहत में सुधार होने की जानकारी देते हुए तस्वीरें और वीडियो अपलोड किए थे। 
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वेदिका के पिता सौरभ शिंदे ने बताया, ‘रविवार शाम को वेदिका को अचानक सांस की समस्या होने लगी। हम तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल ले गए। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए तमाम कोशिशें कीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले महीने बच्ची को इंजेक्शन दिए जाने के बाद, उसकी हालत में सुधार हुआ था। हमने पिछले महीने उनका जन्मदिन भी मनाया था।’
वेदिका को लगा (zolgensma) इंजेक्शन अमेरिका से 16 करोड़ रुपये में मंगवाया गया था। इस दौरान केंद्र सरकार ने इस इंजेक्शन के आयात शुल्क को माफ कर दिया था। वेदिका के परिवार वालों को फरवरी में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी का पता चला था, जिसे लेकर परिवार वालों ने वेदिका का इलाज पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में शुरू किया। 15 जून को उसे 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया और 16 जून को ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में वेदिका का इलाज कर चुके एक डॉक्टर ने कहा कि बच्ची की मौत ‘फीड एस्पिरेशन’ के कारण हुई, जो कि फीडिंग प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली अनियमितता के लिए प्रचलित एक चिकित्सकीय शब्द है।

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