चेन्नई : उप-राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने आज खाद्य उत्पादन में विविधता की चर्चा करते हुए अधिक पोषण तत्वों वाले खाद्यान्न उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और इन उत्पादों के लिए बाजार तैयार करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘नेशनल कंस्ल्टेशन ऑन लेवरेजिंग एग्रीकल्चर फोर न्यूट्रीशन’ के उद्घाटन में कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये पोषण-समृद्ध अनाजों एवं दालों का प्रसार एक अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें खाद्य उत्पादों के पोषण के महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। मैं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि विज्ञान केंद्र जैसे संस्थानों से किसानों को शिक्षित करने की अगुआई करने की अपील करता हूं।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि प्रमुख अनाजों की साल-दर-साल वही खेती करने के बजाय ऐसी प्रणाली अपनानी चाहिए जिसमें छोटे जौ, दलहनों, फलों एवं सब्जियों समेत विभिन्न खाद्यान्न उगाये जाएं।’’ उन्होंने चौतरफा बंद खेतों में कृषि की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आयातित खाद्य सामग्रियों से खाद्य सुरक्षा की तुलना में देश में उत्पादित खाद्य पदार्थों पर निर्भरता बेहतर है। उन्होंने कहा कि इससे देश का आयात बोझ भी कम होगा क्योंकि करीब 60 लाख टन दाल-दलहन विदेशों से मंगाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार, सामाजिक संगठनों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को किसानों से ज्ञान एवं विशेषज्ञता साझा करनी चाहिए ताकि किसान कृषि को टिकाऊ और पोषणयुक्त बना सकें।