गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मंगलवार को कहा कि साम्यवाद और पूंजीवाद के समक्ष गांधीवाद ही टिका है। मुख्यमंत्री रूपाणी ने अहमदाबाद स्थित मूक-बधिर स्कूल सोसायटी परिसर में महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज बापू की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि ‘स्व’ का नहीं बल्कि‘पर’का विचार करने वाले गांधी जी के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। गांधी जी हमेशा ‘रामराज्य’ की परिकल्पना करते थे। वैष्णव जन का भजन इसकी प्रतीति कराता है। साम्यवाद और पूंजीवाद के समक्ष गांधीवाद ही टिका है।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में सभी को समान अवसर की भावना अटूट रूप से जुड़ हुई है। गांधी जी भी सर्व समाज के उत्कर्ष के आग्रही थे, तब हम उनके विचारों को मूर्तिमंत कर सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाएं,यह समय की मांग है। उन्होंने कहा कि दूसरों के आंसू पोंछकर ही परम सुख को प्राप्त किया जा सकता है। सभी के सुख में सुखी और सभी के दुख में दुखी होने के भाव को ही भारतीय विचारधारा करार देते हुए उन्होंने समाज के उत्कर्ष के लिए कार्यरत होने की अपील की।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने दिव्यांगजनों को सामान्य व्यक्ति से भी अधिक शक्ति और सामर्थ्य दिया है। ऐसे में इन दिव्यांगों को भी समाज के अन्य वर्गों जितने ही अवसर मिलने चाहिए और राज्य सरकार इसके लिए कार्यरत है। दिव्यांग बच्चों के कल्याण के लिए कार्यरत संस्थाओं को दी जाने वाली प्रति विद्यार्थी प्रति माह ग्रांट को 1600 से बढ़कर हाल ही में 2100 रुपए किया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी ने विकलांग के बजाय दिव्यांग नाम दिया है। जिसके द्वारा समता युक्त समाज निर्माण की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने इस बात की चिंता की है कि समाज का कोई भी वर्ग विकास से वंचित न रहे। राज्य सरकार ने संतुलित विकास के लक्ष्य के साथ दिव्यांगजनों, गरीबों और पीड़तिं सहित सभी का विकास सुनिश्चित करने के लिए परिणामदायी कार्य किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संस्था की आधारशिला बापू ने रखी थी। पूरा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है, तब संस्था ने उनकी प्रतिमा की स्थापना कर उन्हें श्रेष्ठ श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि पूज्य बापू कोई व्यक्ति नहीं बल्कि स्वयं एक संस्था और विचार थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ-साथ उन्हें समाज में बदलाव की भी परवाह थी। जो समाज दिव्यांगों की चिंता नहीं करता वह समाज स्वयं दिव्यांग कहा जाएगा।
गांधी जी के इन विचारों को मूर्तिमंत करके ही दिव्यांगों की सच्ची सेवा की जा सकेगी। दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समाज और सरकार को ऐसे पालकों को सहारा देना चाहिए और इसलिए ही राज्य सरकार ने दिव्यांग बोर्ड का गठन किया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ईश्वरभाई परमार ने इस मौके पर कहा कि दिव्यांगजनों के सर्वांगीण उत्कर्ष के लिए राज्य सरकार काफी सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कार्यरत है।
ईश्वरभाई परमार ने कहा कि राज्य के समाज सुरक्षा विभाग द्वारा दिव्यांगजनों की सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। वर्ष 2019-20 में विभाग द्वारा 1,141 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। राज्य में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए 143 संस्थाएं कार्यरत हैं जिसका लाभ 10,650 दिव्यांगजनों को मिल रहा है। सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 721 दिव्यांगों को 351 लाख रुपए की विवाह सहायता प्रदान की गई है।
दिव्यांग कल्याण योजना के तहत चालू वर्ष में उनके पुनर्वास के लिए 172 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। मूक-बधिर शाला सोसायटी के अध्यक्ष पंकजभाई पटेल ने इस अवसर पर कहा कि पूज्य गांधी बापू ने इस शाला की नींव रखी थी। उनकी 150वीं जयंती पर शाला परिसर में उनकी प्रतिमा का अनावरण कर पूज्य बापू को स्मरणांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि इस संस्था के बच्चों को नई तकनीक के साथ शिक्षा मुहैया कराने का संस्था का ध्येय है और इसके लिए संस्था में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।
इन बच्चों में निहित आंतरिक सामर्थ्य का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि करियर निर्माण के लिए बच्चों को आगे बढ़ने के लिए संस्था कटिबद्ध है। मानद सचिव मिलन दलाल ने संस्था की शैक्षणिक गतिविधियों की रूपरेखा पेश करते हुए कहा कि संस्था में दिव्यांगों को बाल मंदिर से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा मुहैया कराई जाती है। संस्था द्वारा नि:शुल्क शिक्षा और हॉस्टल सुविधा का लाभ 700 विद्यार्थियों को मिल रहा है। कार्यक्रम में अहमदाबाद की महापौर श्रीमती बीजलबेन पटेल, विधायक राकेश शाह, जगदीशभाई विश्वकर्मा, संस्था के उपाध्यक्ष बिपिन पटेल, न्यासीगण, पदाधिकारी और विद्यार्थी उपस्थित थे।