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पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप की आवश्यकता : भाजपा

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर गठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा गठित एक समिति ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी और राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति बहाल करने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की।

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर गठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा गठित एक समिति ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी और राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति बहाल करने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप की मांग की। बीरभूम जिले के रामपुरहाट के निकट स्थित बोगतुई गांव में हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से आठ की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी जबकि एक पीड़ित ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया था। आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख की हत्या के बाद बदले की कार्रवाई के तहत उन्हें जलाकर मार दिया गया।
रिपोर्ट पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सौंपने को कहा 
इस घटना की असलियत का पता लगाने के लिए भाजपा ने संगठन स्तर पर पांच सदस्यीय एक समिति का गठन किया था, जिसमें राज्यसभा के सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल, मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त व लोकसभा के सदस्य सत्यपाल सिंह, राज्यसभा के सदस्य व पूर्व आईपीएस अधिकारी के सी राममूर्ति, पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष और भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार शामिल थे। इस समिति को घटनास्थल का दौरा करने व वस्तुस्थिति से संबंधित एक रिपोर्ट पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सौंपने को कहा गया था।
समिति ने कहा कि टीएमसी के शासन में कानून-व्यवस्था का तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है और पुलिस तथा राजनीतिक नेतृत्व के साथ साठगांठ से राज्य में माफिया का शासन है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘‘राज्य सरकार प्रायोजित जबरन वसूली, कट मनी और तोलाबाजी’’ बीरभूम हिंसा की मुख्य वजहें थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और अखिल भारतीय पुलिस व प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को कानून का राज स्थापित करने संबंधी नियमों का पालन करने का निर्देश देना चाहिए।
राज्य में केंद्रीय हस्तक्षेप की नितांत आवश्यकता
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह आरोप भी लगाया कि तथ्यान्वेषी समिति के सदस्यों पर हमले भी किये गए और उन्हें बचाने के लिये पश्चिम बंगाल पुलिस का एक भी अधिकारी या कांस्टेबल नहीं आया। समिति की रिपोर्ट नड्डा को सौंपने के बाद मजूमदार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि राज्य में केंद्रीय हस्तक्षेप की नितांत आवश्यकता है ताकि वहां कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है और राज्य की पुलिस सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर काम कर रही है। ज्ञात हो कि कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले की जांच केंद्रीय अण्वेषण ब्यूरो को सौंप दी गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस हिंसा की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।

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