पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रदेश के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच खींचतान का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। जगदीप धनखड़ ने ममता और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपना तीखा हमला जारी रखा है। ममता बनर्जी के एक भाषण का वीडियो अपलोड करते हुए, धनखड़ ने मुख्यमंत्री पर ‘अपमानजनक भाषा’ का उपयोग करते हुए राज्यपाल को बदनाम करने और उनका अपमान करने का आरोप लगाया है।
Neither “law unto oneself”nor ‘state within state’ governance @MamataOfficial can be constitutionally sanctified. CM continually in breach of “duty”under Article 167 & politicized bureaucracy under Article 166.Governance needs massive uplift to be in accord with constitution.— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) December 29, 2021
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच बढ़ता टकराव
पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्यपाल ने बुधवार को ट्वीट किया कि गोवा में पार्टी के लिए प्रचार करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल को ‘राजभवन का राजा’ बताकर उनका मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि तृणमूल सुप्रीमो की भाषा से उनका ‘अपमान’ हुआ है।
धनखड़ का ममता पर हमला-
16 दिसंबर को गोवा में मुख्यमंत्री की रैली का एक वीडियो पोस्ट करते हुए, धनखड़ ने कहा, गोवा की राजनीतिक यात्रा के दौरान आपका ‘राज भवन में एक राजा’ का रुख आहत करने वाला है और संवैधानिक मानदंडों या तथ्य परि²श्य के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आगे कहा, हम दोनों संवैधानिक पदाधिकारियों को लोगों की सख्त जरूरत की सेवा करने के लिए सद्भाव में काम करना चाहिए। मुझे यकीन है कि आप इसे प्राथमिकता देंगी और तत्काल बातचीत के लिए खाली समय देंगी।
क्या नहीं बोलता है बीजेपी के अध्यक्ष से भी बड़ा
दरअसल राज्यपाल मुख्यमंत्री के उस भाषण का जिक्र कर रहे थे, जहां उन्होंने बिना नाम लिए कहा था, राज भवन में एक राजा बैठा है। क्या नहीं बोलता है। बीजेपी के अध्यक्ष से भी बड़ा। अखिल भारतीय अध्यक्ष बीजेपी का – ऐसी बात करता है।इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धनखड़ ने आगे कहा, ममता बनर्जी द्वारा राज्यपाल के खिलाफ की गई टिप्पणी बहुत ही भद्दी और अपमानजनक है। इस तरह की टिप्पणी करके उन्होंने न केवल अपमान किया है, बल्कि संवैधानिक स्थिति को भी कमजोर किया है। इस तरह की टिप्पणियां असंवैधानिक हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।