शिवसेना ने एक बार फिर शनिवार को अपने सहयोगी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए उससे पूछा कि वह सरकार बनाने का दावा पेश क्यों नहीं कर रही है? राज्य में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की गई थी, जिसके 13 दिन बाद भी कोई पार्टी सरकार गठन के लिए आवश्यक 145 सीटें नहीं जुटा पाई है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 सीटें और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं।
मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान जारी है। शिवसेना इस पद के लिए 50:50 का फार्मूला चाहती है, लेकिन भाजपा इस पर तैयार नहीं है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आमने-सामने आने पर शुक्रवार को दोनों दलों के बीच बात और बिगड़ गई थी।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में पार्टी ने कहा, “गोवा और मणिपुर में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी नहीं थी लेकिन उसने सरकार का गठन किया। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि यह सब राज्यपाल के सक्रिय सहयोग से हुआ। लेकिन महाराष्ट्र में सबसे अधिक सीटें पाने के बावजूद भी भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश क्यों नहीं कर रही?”
संपादकीय में पार्टी से एक बार फिर जल्द से जल्द सरकार बनाने की बात दोहराई गई। महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का सत्र नौ नवम्बर को पूरा हो रहा है। उसने कहा, “राज्य के राज्यपाल भाजपा को सरकार गठन के लिए बुला सकते हैं, क्योंकि उसके पास सबसे अधिक सीटे हैं और भाजपा को यह मौका नहीं गंवाना चाहिए।”
संजय राउत बोले- अगर फड़णवीस को लगता है कि भाजपा सरकार बना सकती है, तो उन्हें शुभकामनाएं
‘सामना’ में भाजपा के शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के दावे की आलोचना भी की गई। शिवसेना ने कहा, “उस वादे का क्या जो गठबंधन बनाते समय सत्ता के बंटवारे को लेकर किया गया था? भाजपा लगातार यह कह रही है कि सत्ता साझेदारी को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया गया।”
मुख्यमंत्री पद साझा करने का वादा पूरा न करने को लेकर भी एकबार फिर शिवसेना ने भाजपा पर हमला बोला। उसने कहा, “शिवसेना के बिना राज्य में सरकार का गठन नहीं हो सकता, लेकिन भाजपा अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने को तैयार नहीं है। यह कैसी राजनीति है। हम ऐसी गंदी राजनीति में शामिल नहीं हो सकते।” इस पूरे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।