हल्द्वानी : लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने में अब ज्यादा समय नहीं है। ऐसे में राजनीतिक दलों के साथ-साथ निर्वाचन आयोग व प्रशासन भी तैयारियों में जुट गया है। ऐसे में कद्दावर नेता भी अपनी दावेदारी मजबूत करने लगे हैं। उत्तराखंड में भी यह सर्वविदित होने लगा है। ऐसे में राजनीति में सक्रिय राजनेता यशपाल आर्य की नैनीताल लोकसभा सीट से दावेदारी ने अब उत्तराखंड की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले हल्द्वानी शहर की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है।
ऐसे में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस की बेचैनी बढ़ना भी लाजिमी है। यहां बता दें कि राजनीति में यशपाल आर्य का नाम कोई नया नहीं है। 42 वर्षों से राजनीति में सक्रिय इस नेता का नाम बच्चे-बुजुर्गों-युवाओं व महिलाओं सभी के जेहन में है। वर्ष 1989 में खटीमा-सितारगंज सीट से विधायक चुने गए यशपाल ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वह राजनीति में नित नये मुकाम हासिल करते गये। कांग्रेस से दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ-साथ वह वर्ष 2002 में विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे।
इसके अलावा वह प्रदेश अध्यक्ष रहते मिली सफलता के बाद कांग्रेस ने पुनः प्रदेश की कमान सौंपी थी। वह मुक्तेश्वर सीट से भी विधायक रहे। साथ ही कांग्रेस सरकार में भी उन्हें काबिना मंत्री के पद से नवाजा गया। वर्ष 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपने पुत्र संजीव आर्य को साथ लेकर कांग्रेस को अलविदा कहते हुए भाजपा का दामन थाम लिया।
कुशल राजनीति के ज्ञाता यशपाल ने जहां भाजपा के टिकट पर बाजपुर विधान सभा सीट से दांव खेला, वहीं अपने पुत्र को नैनीताल सीट से मैदान में उतार दिया। आखिर हुआ भी वही जिसे सभी को उम्मीद थी। दोनों सीटों पर पिता-पुत्र ने जीत हासिल की। नये-नये भाजपा में शामिल पिता-पुत्र की जीत का तोहफा भी उन्हें मिला और भाजपा सरकार में उन्हें परिवहन मंत्री पद से नवाजा गया।
2014 के चुनाव में सिरीज जीतने से उत्साह : वर्ष 2014 में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तराखंड में पांचों सीटें जीतकर सीरिज अपने नाम की थी। इसके बाद विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस को चारों खाने चित कर भाजपा रोमांचक स्थिति में पहुंच गई। लाेेकसभा चुनाव के परिणामों में नजर डालें तो उत्तराखंड के गढ़वाल से भुवन चंद्र खंडूड़ी, टिहरी से महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, हरिद्वार से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, नैनीताल से भगत सिंह कोश्यारी और अल्मोड़ा सुरक्षित सीट से अजय टम्टा लोकसभा पहुंचे। ऐसे में भाजपा के नेताओं में जीत को लेकर वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है।
– संजय तलवाड़