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17 दिन पहले कारगिल में लापता हुए सैनिक के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

देश की सीमाओं की खातिर कारगिल में तैनात समराला के नजदीक गांव ढिंडसा के फौजी जवान पलविंद्र सिंह का आज उसके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ संस्कार कर दिया गया।

लुधियाना-दोराहा : देश की सीमाओं की खातिर कारगिल में तैनात समराला के नजदीक गांव ढिंडसा के फौजी जवान पलविंद्र सिंह का आज उसके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ संस्कार कर दिया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की तरफ से खादय आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने पलविंद्र सिंह को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान समराला के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लो, विधायक पायल लखबीर सिंह लखा समेत प्रशासनिक अधिकारी और शहीद जवान के पारिवारिक सदस्य मोजूद थे। 
स्मरण रहे कि पलविंद्र सिंह अपने एक अन्य अधिकारी लेफिटेनेट शुभान अली समेत डयूटी के दौरान जाते समय द्रास के मीना मार्ग पर दरिया में गिर जाने के कारण लापता हो गया था। परिवार समेत पूरे गांव में ही अपने इस बहादुर यौद्धा की सलामती के लिए काफी अरदासें और मन्नतें की गई किंतु 17 दिनों के बाद भारतीय सेना की अलग-अलग टुकडिय़ों ने आखिर पलविंद्र सिंह की लाश गहरे पानी से बाहर निकाली और आज सैन्य सम्मान के साथ पलविंद्र के नौनिहाल गांव रामपुर में अंतिम संस्कार किया गया। 
गांववासियों के मुताबिक बताया जाता है एक रिटायर्ड फौजी का यह बहादुर बेटा 2010 में देशसेवा के लिए सेना में भर्ती हुआ था और इसकी डयूटी कारगिल सेक्टर में लगी हुई थी। पलविंद्र सिंह की मां सुरिंद्र कौर का रो-रोकर बुरा हाल था। अचानक अपने जिगर के टुकड़े की मृत देह देखते ही दुखों का पहाड़ टूट गया। शहीद के भाई जगप्रीत सिंह ने बताया कि 2 महीनों बाद छुटटी पर आकर पलविंद्र ने मां का आप्रेशन करवाना था और उसकी शादी की तैयारियां चल रही थी लेकिन इस हादसे ने समस्त सपने तोड़ डाले। जगप्रीत ने भरे मन से कहा कि उसके भाई ने सीमाओं की रक्षा के लिए शहीदी जाम पिया है और उसे शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। पूरे इलाके को बहादुर सपूत की शहादत पर मान है। 
– सुनीलराय कामरेड

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