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4 साल में छोटी सरकार बन बिहार की पिंकी ने पंजाब में रचा इतिहास

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लुधियाना- अमृतसर : गुरू की नगरी के नाम से विख्यात अमृतसर नगर निगम के चुनावों के दौरान लोकतंत्र में जमहूरियत की मजबूती का एक प्रमाण उस वक्त देखने को मिला जब वार्ड न. 15 से आजाद उम्मीदवार के तौर पर 5वीं पास प्रवासी बिहारन महिला पिंकी देवी ने अकाली-भाजपा और कांग्रेसी दिगगजों को सियासत की पिच पर धूल चटाते हुए पटकनी दे दी। पिंकी देवी अमृतसर में एक मामूली दुकानदार की बीवी है और उसका संबंध बिहार के मोतीहारी जिले के बीरा छपरा गांव से है। पिंकी 4 साल पहले शादी करवाकर पीर पैगंबर और गुरूओं की धरती के नाम से विख्यात अमृतसर के तुंगपाई आबादी स्थित रामबली चौक में आई थी। पिंकी के ससुर रामबली छोटी ही आयु में रोजगार की तलाश के दौरान अमृतसर आ बसे थे।

पिंकी ने निगम चुनाव में आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा और राजनीति के धुरंधरों को शिकस्त देते हुए जीत का ताज भी पहना। हालांकि चुनावों से पहले पिंकी देवी चूल्हे-चौके तक सीमित थी, मायके में भी और ससुराल में भी। नगर निगम चुनाव में वार्ड नंबर 15 का क्षेत्र महिला आरक्षित होने के कारण पिंकी के ससुर रामबली ने उन्हें चुनावी दंगल में उतरने को कहा। पिंकी के लिए यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण था। घर की जिम्मेदारी और दो बच्चों नीरज व धीरज का लालन-पालन भी उन्हें ही करना था। खैर, ससुर की आज्ञा मानकर उन्होंने आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करवा दिया। फिर शुरू हुआ चुनाव प्रचार का दौर। वार्ड नंबर 15 में पंजाबियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों की अधिक संख्या है। लोगों ने पिंकी के साथ कदम से कदम मिलाया और उनके चुनाव प्रचार में जुट गए।

17 दिसंबर रविवार को मतदान हुआ और देर शाम रिजल्ट भी आ गया। पिंकी कुमारी को 1380 मत मिले वह 480 मतों से विजयी हुईं। इस वार्ड से भाजपा प्रत्याशी अमरजीत कौर को 1005 मतों से संतोष करना पड़ा, जबकि कांग्रेस की वंदना शर्मा को 1041 मत मिलेगी। पिंकी ने राजनीति का पहला पड़ाव बड़ी आसानी से पार कर लिया है।

घर के चूल्हे चौके के सिवाय उन्हें और कोई काम नहीं आता। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि बिहार से अमृतसर आकर वह छोटी सरकार का हिस्सा बनेंगी। पिंकी ने कहा कि ससुर रामबली की प्रेरणा से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। अब राजनीति अपने ससुर से ही सीखूंगी। पिंकी के अनुसार उन्हें पंजाबी नहीं आती। अब वह पंजाबी भी सीख लेंगी और जनता की सेवक बनकर काम करेगी। मतदाताओं का धन्यवाद, जिन्होंने उन्हें जीत दिलाई। पति मुकेश कुमार दिहाड़ीदार हैं और मेहनत मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं।

रामबली के अनुसार वह छोटी सी दुकान के साथ-साथ प्रॉपर्टी डीलर के तौर पर काम करते हैं। लोगों के साथ जमीनी स्तर पर जुड़े रहे। वार्ड की कोई भी छोटी-बड़ी समस्या का समाधान लेकर लोग उनके पास आते थे। नगर निगम अधिकारियों से बात कर इन समस्याओं का समाधान वह करवा देते थे। यही वजह है कि लोगों का समर्थन मिला।

भाजपा की टिकट नहीं मिली, इसलिए आजाद हुईं पिंकी
पिंकी के ससुर रामबली पिछले चालीस वर्षों से अमृतसर में हैं। वह भाजपा समर्थक हैं। उन्होंने भाजपा कोटे की टिकट की मांग रखी, पर उन्हें यह कहकर भेज दिया गया कि बाहरी व्यक्ति को टिकट क्यों दें। रामबली बताते हैं कि इलाके के मतदाता चाहते थे कि उनकी बहू चुनाव लड़े, इसलिए उन्होंने उसे आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतार दिया।

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– सुनीलराय कामरेड

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