पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आखिरकार अपने नए राजनीतिक कदम का ऐलान कर ही दिया। अमरिंदर सिंह ने यह साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ेंगे क्योंकि वो इस हालात में कांग्रेस के साथ नहीं रह सकते। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वो भाजपा में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। इसका मतलब बिल्कुल साफ है कि अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी बनाने जा रहे हैं।
पूर्व CM अमरिंदर सिंह बनाएंगे नई पार्टी
पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी बनाने जा रहे हैं, इस बीच जानकारी मिली है कि उनके संपर्क में दर्जनभर कांग्रेस नेता हैं। यह पार्टी के व्ही नेता हैं जो उनकी तरह ही कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे हैं। फिलहाल, अगले कदम को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने समर्थकों से भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। अमरिंदर सिंह के पंजाब के कुछ किसान नेताओं से भी मिलने की संभावना है। बता दें कि अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, जिसके बाद भाजपा में उनके जाने की अटकलों को हवा मिली थी।
अमरिंदर सिंह ने साफ किया कि कांग्रेस से ‘मैं इस्तीफा दे दूंगा’
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह साफ कर दिया कि वो कांग्रेस का हाथ छोड़ रहे हैं, उन्होंने कहा कि ‘‘कांग्रेस से मैं इस्तीफा दे दूंगा।’’ एक अन्य सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पिछली बार के सर्वेक्षण में आम आदमी पार्टी आगे बढ़ रही है, कांग्रेस नीचे जा रही है। कांग्रेस की लोकप्रियता में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। नवजोत सिंह सिद्धू पर लोगों को विश्वास नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब में नयी ताकत आ रही है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होंगे ।
अमित शाह और अजित डोभाल से मुलाकात कर अमरिंदर ने बढ़ाया था राजनीतिक तापमान
बता दें कि बुधवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अमरिंदर सिंह ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया था। हालांकि मुलाकात के बाद उन्होंने स्वयं यह बयान जारी कर कि वो किसानों के मुद्दे पर गृह मंत्री से मिलने गए थे, राजनीतिक कयासों को शांत तो कर दिया था। लेकिन उनके नए राजनीतिक मूव को लेकर लगातार संशय बना हुआ था।
हालांकि गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मुलाकात कर उन्होंने अपना एजेंडा भी साफ कर दिया है कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तानी प्रेम को लेकर लगातार नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधते रहेंगे और यह मुद्दा भाजपा को भी सूट करता है। ऐसे में भविष्य में सहयोग को लेकर कई दरवाजे तो खुले रहेंगे ही लेकिन फिलहाल दोनों में से कोई भी पक्ष अपने पत्ते पूरी तरह से खोलने को तैयार नहीं है।