कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर एक साल से डटे किसानों का धरना प्रदर्शन समाप्त हो गया है। आंदोलन खत्म होते ही किसानों ने अपने-अपने घरों का रुख कर दिया। एक साल बाद पंजाब पहुंचे किसानों का पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब पंजाब सरकार को किसानों के लंबित वादों को पूरा करने की करना चाहिए।
कैप्टन अमरिंदर ने बयान में कहा कि किसान 380 दिन के बाद घर लौट रहे हैं और ये उनकी जीत उनके तप, त्याग और तपस्या का फल है जिस तरह उन्होंने संघर्ष करके अपने आंदोलन को कामयाब बनाया, वो तारीफेकाबिल है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिये किसानों ने शांतिपूर्वक, अनुशासन, समर्पण, दृढ़ निश्चय दिखाया।
उन्होंने आशा जताई कि पंजाब सरकार अब किसान से किये वो वादे पूरे करेगी जो कांग्रेस ने पिछले चुनाव घोषणापत्र में किये थे। ये वादे चुनाव आचार संहिता लगने से पहले पूरे किये जायें। एक साल पहले उन्होंने किस तरह किसानों के आंदोलन में सकारात्मक भूमिका निभाई और किसान का सहयोग किया और उनका मनोबल बनाये रखा था। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारा उद्देश्य पूरा हुआ और कानून निरस्त हो गए।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वो किसानों की लंबित मांगों को पूरा करने की कोशिश में लगे हुये थे लेकिन दुर्भाज्ञवश कोविड के कारण और मेरे मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कुछ मांगें पूरी नहीं हो सकीं जिन्हें नयी सरकार को पूरा करना चाहिए। उन्होंने पंजाब के कल्याण और आम आदमी और विशेषकर किसान हितों की रक्षा का संकल्प दोहराया।
उन्होंने कहा कि आज मैं अपने किसान भाइयों तथा बहनों को आश्वस्त करता हूं कि उनके हितों के लिये कोई कदम उठाने से नहीं हिचकूंगा। मैंने 2004 में पंजाब वाटर टर्मिनेशन एग्रीमेंट एक्ट पास करवाने में देर नहीं की थी क्योंकि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी नहीं। यदि अन्य राज्यों को पानी दिया गया तो पंजाब का एक हिस्सा बंजर हो जाएगा।