लुधियाना-अमृतसर : सिखों की सर्वोच्च संस्था को अलग-अलग सिख जत्थेबंदियों और अलग-अलग संगठनों द्वारा अलग-अलग मुददों पर दी जा रही चुनोतियों के मध्यनजर एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार भाई गोबिद सिंह लोंगोवाल ने प्रैस विज्ञप्ति के जरिए स्पष्ट कि या कि कुर्बानियों के साथ स्थापित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं परंतु कुछ अपने ही लोग इसे बदनाम करने की कोशिशें कर रहे हैं। एसजीपीसी के पूर्व मुख्य सचिव हरचरण सिंह की ओर से एसजीपीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करना हरचरण सिंह के दोगले चेहरे को बयां करता है।
एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिद सिह लोंगोवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रजिदर सिंह मेहता व महासचिव हरजिदर सिंह धामी ने कहा कि हरचरण सिंह खुद एसजीपीसी के मुख्य सचिव रहे हैं। उस वक्त उन्होंने एसजीपीसी के हर फैसले पर सहमति देते हुए फाइलें आगे भेजीं। अगर उनकी ओर से लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई है तो उन्होंने अपने पद पर रहते हुए फाइलों को पास करने के लिए हस्ताक्षर क्यों किए। हर प्रस्ताव पर हरचरण सिंह ने हस्ताक्षर किए हैं।
वर्ष 2015 में राम रहीम की माफी के लिए पास किए प्रस्ताव पर भी हरचरण सिंह ने हस्ताक्षर किए हैं तथा हर तरह की सुविधाएं हासिल कीं। संस्थान में इसने 23 महीने के दौरान 84 लाख रुपये वेतन व अन्य भत्ते हासिल किए।
हरचरण सिंह ने अपनी नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट केस में वकील की फीस के नाम पर दो लाख 50 हजार रुपये अपने खाते में जमा करवाए। वर्ष 2008-09 में संस्थान के कंप्यूटरीकरण के लिए 28 लाख 98 हजार 700 रुपये अपनी कंपनी डी लाइट के नाम पर वसूले और एसजीपीसी का खजाना कथित रूप में लूटा। वह आज विरोधियों के हाथों में खेल रहा है।
एसजीपीसी के पदाधिकारियों ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर विज्ञापन देकर पंडाल लगाने संबंधी टेंडर मांगे गए थे। जिस संबंधी पहुंचे टेंडरों में से सब कमेटी ने शो-क्राफ्ट प्राईवेट लिमिटेड कंपनी नई दिल्ली का टेंडर स्वीकार किया। जिस के तहत पंडाल के लिए 2 करोड़ 72 लाख 82 हजार 925 रुपये और गेट पर 32 लाख 3 हजार 487 रुपये इस कंपनी को संस्थान की ओर से अदा किए गए।
इसके अलावा जोड़ा घरों, गठरी घर, बाथरूम, एलईडी लाईट, लाइट एंड साउंड व लेजर शो, ड्रोन शो आदि पर भी पैसे खर्च किए गए। उन्होंने कहा कि एसएस कोहली एंड एसोसिएट्स चंडीगढ़ की फर्म के प्रति फीस को लेकर भी गलत प्रचार किया जा रहा है। फर्म को बाकायदा वर्ष 2010 में विज्ञापन देकर टेंडर करके गुरुद्वारा साहिब 85 का ऑडिट व बाद में स्कूलों व कॉलेजों का काम अलाट किया गया। कम रेट वाली फर्मों को ही टेंडर दिए गए थे। इस संबंध में पूर्व मुख्य सचिव हरचरण सिंह से संपर्क किया गया परंतु उन्होंने फोन नही उठाया।
– सुनीलराय कामरेड