पंजाब कांग्रेस में मची अंदरूनी कलह के बीच राज्य के प्रभारी हरीश रावत ने शनिवार को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। हरीश रावत ने राहुल गांधी को स्थिति की रिपोर्ट सौंप दी है। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें पंजाब की स्थिति की जानकारी दी जिसकी जानकारी मैं पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष को दे चुका हूं। हमारे सब लोग चुनाव के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
मुझे जब तक काम करने के लिए कहा जाएगा मैं काम करता रहूंगा
उन्होंने आगे कहा कि मैंने अपने पंजाब के दोस्तों से मजाक में कहा था कि मैं सोच रहा था कि अब उत्तराखंड पर ध्यान दूंगा और तुमने मेरी नौकरी का समय और बढ़ा दिया है। मुझे जब तक काम करने के लिए कहा जाएगा मैं काम करता रहूंगा। कांग्रेस ने अपनी पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की निर्णय लेने की आजादी दिये जाने संबंधी मांग पर शुक्रवार को कहा कि वह कांग्रेस के मापदंडों और संविधान के दायरे में रहकर फैसले करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सभी लोग सभ्य हैं और उन्हें मालूम है कि उन्हें क्या करना है
इससे पहले सिद्धू ने पार्टी नेतृत्व से कहा था कि उन्हें फैसले लेने की आजादी दी जाए, नहीं तो वह मुंहतोड़ जवाब देंगे। इस पर हरीश रावत ने कहा कि “सभी लोग सभ्य हैं और उन्हें मालूम है कि उन्हें क्या करना है। सबके बोलने का तरीका अलग होता है इसलिए विद्रोही नहीं कहा जा सकता।”
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर पूरा ध्यान लगाना चाहते हैं
सिद्धू के बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि अगर राज्य इकाई के प्रमुख फैसले नहीं करेंगे तो कौन करेगा। इस बीच, सिद्धू के दो सलाहकारों के बयानों से खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में रावत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने पंजाब के मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही खुद को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह भी किया होगा क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि अब वह उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर पूरा ध्यान लगाना चाहते हैं।
कांग्रेस आलाकमान को उन्हें फैसले करने की आजादी देनी चाहिए
सिद्धू ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस आलाकमान को उन्हें फैसले करने की आजादी देनी चाहिए और वह सुनिश्चित करेंगे कि कांग्रेस राज्य की सत्ता में अगले 20 साल बनी रहे। उनका कहना है कि उन्होंने इसको लेकर रूपरेखा तैयार की है। उन्होंने अमृतसर में एक सभा में कहा, ‘‘पार्टी आलाकमान को निर्णय लेने की आजादी देनी चाहिए, अन्यथा मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।’’
मैं देखूंगा कि सिद्धू ने किस संदर्भ में यह टिप्पणी की है
उनकी इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर रावत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं देखूंगा कि सिद्धू ने किस संदर्भ में यह टिप्पणी की है। वह पंजाब कांग्रेस के सम्मानीय अध्यक्ष हैं। अगर प्रदेश अध्यक्ष फैसले नहीं करेंगे तो कौन करेगा।’’ सिद्धू के सलाहकार मलविंदर माली की जम्मू-कश्मीर से जुड़ी विवादित पोस्ट पर रावत ने कहा कि माली ने कहा है कि उन्होंने निजी हैसियत से यह बोला था और इस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है, ऐसे में यह मामला खत्म हो गया है।
सलाहकार ने जो कहा है कि उसका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘ कोई भी व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर और दूसरे संवेदनशील मुद्दों पर कोई ऐसा बयान देता है जिससे देश के लोगों की संवेदनाओं को चोट पहुंचती है तो हम उसकी निंदा करते हैं। सिद्धू के सलाहकार ने जो कहा है कि उसका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है।’’ उधर, जम्मू-कश्मीर पर अपनी विवादित टिप्पणियों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मलविंदर सिंह माली ने शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार का पद छोड़ दिया।
माली ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, ‘‘मैं विनम्रतापूर्वक कहता हूं कि मैं नवजोत सिंह सिद्धू को सुझाव देने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं।’’ उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि यदि कश्मीर भारत का हिस्सा था तो अनुच्छेद 370 और 35ए की क्या जरूरत थी। उन्होंने यह भी कहा था, ‘‘कश्मीर कश्मीरी लोगों का देश है।’’ सिद्धू के एक अन्य सलाहकार प्यारे लाल गर्ग ने मुख्यमंत्री द्वारा पाकिस्तान की आलोचना किये जाने पर कथित तौर पर सवाल उठाया था।