लुधियाना : आम आदमी पार्टी पंजाब के बागी धड़े ने केजरीवाल के बरनाला दौरे को धत्ता बताते हुए आज एक और कदम आम आदमी पार्टी की सियासत में आगे बढ़ाते हुए पूर्व पंजाब विधानसभा प्रतिपक्ष नेता और विधायक सुखपाल सिंह खैहरा को आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई का कार्यवाहक प्रधान नियुक्त कर दिया। इस धड़े द्वारा बनाई गई सियासी मामलों की कमेटी ने यह फैसला किया है लेकिन सुखपाल सिंह खैहरा ने बैठक के दौरान ना-नुकर करते हुए स्पष्ट कहा है कि वह वालंटियरों की आने वाले दिनों में होने वाली 3 कांफ्रेंसों में पुष्टि करवाकर ही इस जिम्मेदारी भरे ओहदे को संभालेंगे।
इस फैसले के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कंवर संधू ने कहा कि सुखपाल सिंह खैहरा प्रधानगी का पद हासिल नहीं करना चाहते। परंतु पी.ए.सी (सियासी मामलों की कमेटी) ने फैसला करके उनको कार्यवाहक प्रधान का ओहदा लेने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि सुखपाल सिंह खैहरा क्योंकि आम आदमी पार्टी के लोगों के आगु बन चुके है, और आम आदमी पार्टी ने उन्हें प्रधान नियुक्त करके अच्छे तरीके से पार्टी हितों के लिए फैसला लेने के लिए नियुक्त किया है।
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक बागी ने यह भी कहा है कि पार्टी सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल के साथ बातचीत के बारे में पी.ए.सी ही फैसला करेंगी और यह फैसला किया गया कि जल्द ही स्टेट लेवल की सभी नियुक्तियां की जाएंगी। इसके अतिरिक्त जिला स्तर पर ही नियुक्तियां की जानी बाकी है। खैहरा ने विधानसभा चुनावों के बारे में कहा कि वह अपने तौर पर मौजूदा सरकार के खिलाफ डटेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा सेशन में स्पीकर महोदय जो भी कुर्सी अलाट केंरगे वह उसी पर ही बैठेंगे। उन्होंने मांग की कि विधानसभा सेशन 15 दिन का होना चाहिए। खैहरा ने यह भी माना कि उपप्रधान अमन अरोड़ा के साथ उनकी बैठक हुई थी, जो बिल्कुल निजी तौर पर थी। अमन अरोड़ा ने समझौते की बात की थी।
खैहरा ने नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थन में डटते हुए कहा कि अगर सिद्धू ने पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष को जफी डाली है तो गुनाह हो गया, लेकिन अगर मोदी करें तो कोई गुनाह नहीं। स्मरण रहे कि 24 घंटे पहले बरनाला के एक विधायक के पिता के श्रद्धांजलि समारोह में आप सुप्रीमों केजरीवाल दिल्ली से 300 कि.मी. की दूरी तय करके पंजाब पहुंचे थे लेकिन 20 कदम दूर उसी श्रद्धांजलि समारोह में बैठे सुखपाल सिंह खैहरा और आम आदमी पार्टी से विद्रोही धड़े के विधायकों से वह दिलों की दूरी नही मिटा पाएं।
सुखपाल खैहरा के मुतााबिक केजरीवाल अगर बठिण्डा कनवेंशन की पंजाब के फैसला पंजाबी ही लें और अन्य मांगों को मान लें तो वह हमारे नेता हो सकते है, अन्यथा पंजाब के लाखों लोगों की आवाज से वह भाग नहीं सकते। सुखपाल खैहरा ने दावा किया कि वह पंजाबीयों के हितों की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
सुनीलराय कामरेड