लुधियाना-अमृतसर : ‘दास्तां -ए- मीरी-पीरी’ फिल्म अपनी घोषणा से ही सुर्खियों में है। कुछ समय पहले सिख धर्म पर आधारित एनिमेशन फिल्म ‘नानकशाह फकीर’ की तरह जून माह में रिलीज होने वाली कार्टून एनिमेशन फिल्म ‘दास्तां -ए- मीरी-पीरी’ पर भी विवाद खड़ा हो चुका है।
हालांकि इस विवाद को शांत करने हेतु सिखों की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख संगत के बगावती उठते सुरों को देखते हुए शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी को निर्देश दिए है कि इस फिल्म को रिलीज होने से पहले देखे कि मामला क्या है?
वही दूसरी तरफ सिख जत्थेबंदियों ने इस फिल्म पर मुकम्मल पाबंदी को लेकर आवाज उठाई है। उनका कहना है कि भविष्य के लिए भी कमेटी जवाबदेही ले और स्पष्ट करे कि गुरू साहिबान या फिर उनके जीवन से संबंधित लोगों के किरदार चाहे मानवीय रूप में हो या फिर कार्टून-एनिमेशन अदा नहीं किए जाने चाहिए। ना ही उनकी आवाज निकालने की किसी भी इंसान को इजाजत हो।
जबकि दूसरी तरफ फिल्म के प्रबंधकों का दावा है कि यह पंजाबी फिल्म ‘दास्तां -ए- मीरी-पीरी’ मीरी-पीरी के इतिहास को उजागर करेंगी। 1604 इसवीं पर आधारित यह फिल्म सिखों के 5वें गुरू अर्जुन देव जी की शहीदी और छटे गुरू हरगोबिंद साहिब जी के मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ 2 तलवारें मीरी-पीरी धारण करने को समर्पित है। मीरी-पीरी दोनों संसारिक और अध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती है।
– सुनीलराय कामरेड