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नानकाना साहिब में सिख कौम का छठा तख्त बनाया जाना समय की जरूरत- सरना

दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरिंद्र सिंह सरना और उनके भाई परमजीत सिंह सरना, करतारपुर लांघा नींव पत्थर में समागम में शमूलियत करके

लुधियाना-अमृतसर : दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरिंद्र सिंह सरना और उनके भाई परमजीत सिंह सरना, करतारपुर लांघा नींव पत्थर में समागम में शमूलियत करके वतन वापिस लौट आएं। उन्होंने अमृतसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब में सिख कौम का छठा तख्त बनाया जाना समय की जरूरत है।

ताकि इस तख्त से सिख कौम के कल्याण के लिए सार्थक व निष्पक्ष फैसले लिए जा सकें। उनके मुताबिक कुछ लोगों ने श्री अकाल तख्त साहिब को थाना बना दिया है, जहां से मनमर्जी का थानेदार रूपी जत्थेदार तैनात करके अपनी मर्जी के फैसले लेकर लागू करवाए जाते है। इस लिए सिख कौम चाहती है कि कोई ऐसा तख्त होना चाहिए यहां से कौम के नाम निष्पक्ष आदेश जारी हों। वहीं पांच तख्तों से अधिक तख्त होना किसी भी तरह मर्यादा के खिलाफ नहीं है। कहीं भी गुरु साहिब ने नहीं कहा और न ही लिखा है कि पांच तख्तों से अधिक तख्त नहीं होनें चाहिए। गुरु साहिब ने तो सिर्फ एक ही तख्त श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना की थी।

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बाकी के चार तख्त संगत के लिए संयुक्त फैसले से ही बनाए गए है। वहीं आज भी एसजीपीसी के संविधान में पांच नहीं बल्कि चार तख्तों का रिकार्ड दर्ज है। परमजीत सिंह सरना ने कहा कि पाकिस्तान की सिख संगत की मांग को मुख्य रख उनकी ओर से ननकाना साहिब में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ननकाना साहिब में सिख कौम का छठा तख्त बनाने का प्रस्ताव पेश किया था। जिस को संगत ने सर्व समिति से पास किया है। अब संगत खुद ही छठे तख्त को स्थापित करने का फैसला लागू करवा देगी। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार हरप्रीत सिंह की ओर से छठे तख्त की स्थापना का विरोध जायज नहीं है।

हरप्रीत सिंह को कुछ खास राजनेताओं के प्यादे बन कर काम नहीं करना चाहिए बल्कि सिख कौम की आवाज को सुनना चाहिए। ननकान साहिब की विशेष महत्वता है इस के लिए वहां सिख कौम का छठा तख्त स्थापित किया जाना चाहिए यहां पर दुनिया भर के सिख अपनी फरियाद के लिए अरदास कर सकें। भारत स्थित तख्तो पर कुछ लोगों के कब्जे है इस लिए छठा तख्त किसी भी तरह मर्यादा के उलट नहीं है।

करतारपुर लांघा के संबंध में सरना ने कहा कि इस का क्रेडिट सिख संगत को जाता है जो हर रोज अरदास में गुरुद्वारा साहिबों के दर्शन दीदार के लिए प्रार्थना करती है। परंतु कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस का क्रेडिट लेना चाहते है। इस में भारत और पाकिस्तान सरकारों के साथ साथ नवजोत सिंद्धू की प्रशंसा के हकदार है। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से भी वर्ष 2002 में रास्ता खोलने के लिए आवाज बुलंद की गई थी। इस से पहले अवतार सिंह संघेडा और जोगा सिंह आदि ने भी आवाज उठाई थी। उनकी ओर से करतारपुर में जा कर दरबार की हालात को सुधारने में जिम्मेवारी निभाई वहीं डेरा बाबा नानक में भी दर्शनीय ढियोडी का निर्माण करवाया था।

एक सवाल के जवाब में सरना ने कहा कि नवजोत सिंह सिदू की पाकिस्तान के गोपल सिंह चावला के साथ तस्वीर होने को लेकर पैदा किया विवाद जान बूझ का पैदा किया गया है। चावला पाकिस्तान के सिखों की पंजाबी सिख जत्थेबंदी के नेता है और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव भी है।

चावला को कारतारपुर कार्यक्रम के लिए वहां की सरकार ने बुलाया था। कार्यक्रम में सिद्धू के साथ उसकी फोटो आना कोई विवाद नहीं है। भारत में व खासकर पंजाब और अमृतसर में तो हर रोज खालिस्तान के नारे लगे है। उनके खिलाफ फिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमारी पाकिस्तान सरकार से मांग है कि नानकान साहिब और करतार पुर साहिब के लिए अराइवल वीजा सुविधा होनी चाहिए। पाक सरकार अभी करतारपुर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए परमिट सुविधा लागू करने जा रही है।

सुनीलराय कामरेड

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