पाकिस्तान ने 20 साल के भारतीय कैदी जितेंद्र अर्जुनवार रिहा कर दिया गया है। जितेंद्र वाघा बॉर्डर से भारत पहुंच चुका है। जितेन्द्र की रिहाई होने की खबर मिलने के बाद परिवार में खुशी की लहर है। जितेंद्र को ब्लड कैंसर और टीबी की बीमारी है। पिछले डेढ़ साल से उनका टीबी का भी इलाज चल रहा था। पाकिस्तान से जितेन्द्र ने जैसे ही अमृतसर की वाघा बार्डर से प्रवेश किया। अर्जुन ने बताया कि पाकिस्तान की जेल में उससे बहुत क्रूरता की गई और यातनाएं दी गईं। पाकिस्तान में उसे शक की निगाह से देखा जाता था।
वे समझते थे कि मैं खुफिया एजेंसी के लिए काम करता हूं। जेल अधीक्षक से लेकर निचले स्तर के कर्मचारी उन्हें और अन्य भारतीय कैदियों को डराते-धमकाते थे। पाकिस्तान में रहने के दौरान ही उन्हें ब्लड कैंसर हो गया और पिछले डेढ़ महीने से उनका टीबी का भी इलाज चल रहा था। उन्होंने बताया कि उसकी रिहाई के अंतिम दिन तक पाकिस्तान के अस्पताल में उसका टीबी का इलाज चल रहा था। ब्लड कैंसर के इलाज के दौरान भी पाकिस्तान के अस्पताल में कई बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। जितेंद्र की जांच की जा रही है।
बीमार होने की स्थिति में जितेन्द्र का इलाज कराया जाएगा। जानकारी मिली है कि पूरा इलाज और स्वस्थ्य होने के बाद ही जितेन्द्र को अमृतसर से बरघाट तक लाने की कार्रवाई की जाएगी। बता दे कि सिवनी जिले के बरघाट का रहने वाला जितेंद्र को पाकिस्तान की जेल में पिछले 5 साल से कैद कर रखा था। उसे बीमारी के कारण जेल से निकाल कर रिहैब सेंटर में रखा गया था। जितेंद्र अर्जुनवार को भारत-पाकिस्तान सीमा पर पकड़ा गया था। 12 अगस्त 2013 को पाकिस्तान के खोखरापार में जितेंद्र को पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया था।
एएसपी गोपाल खांडेल ने बताया है कि पाकिस्तान से रिहाई होने के बाद स्वदेश आ रहे जितेन्द्र को बरघाट तक लाने में समय लग सकता है। एएसआई सराठे और भरत गुरुवार रात को बाघा बार्डर (अमृतसर ) पहुंचे। यहां जितेन्द्र का स्वास्थ्य ठीक रहा तो ये उसे लेकर जल्द ही बरघाट के लिए रवाना हो जाएंगे। यदि स्वास्थ्य खराब रहा तो पूरा इलाज और स्वस्थ्य होने के बाद ही जितेन्द्र को अमृतसर से बरघाट तक लाने की कार्रवाई की जाएगी।
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