लुधियाना- बठिंडा : सरबत खालसा के दौरान अकाल तख्त के जत्थेदार बनाए गए ध्यान सिंह मंड की तरफ से अन्य सिख धर्म प्रचारकों के साथ एक जून से लगाया गया बरगाडी मोर्चा समापती की तरफ बढता जा रहा है। आने वाले दिनों में बरगाडी मोर्चे की समापती संबंधी कभी भी सिख धर्म प्रचारकों की ओर से एलान किए जाने की संभावना है। यह जानकारी पंथक पक्षों की मंगलवार को जहां हुई एक विशेष बैठक के बाद मिली।
सरबत खालसा के दौरान तख्त श्री केसगढ़ साहिब और दमदमा साहिब के जत्थेदारों अमरीक सिंह अजनाला और बलजीत सिंह दादूवाल के अलावा दल खालसा के मुखी हरपाल सिंह, युनाईटिड अकाली दल के गुरदीप सिंह और अकाली दल 1920 के बूटा सिंह समेत अन्य पंथक नेताओं की मौजूदगी में मंगलवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधन करते हुए अकाली दल अमृतसर के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि यह बरगाडी मोर्चे का नतीजा है कि जहां श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वाले कई तथा कथित आरोपियों को ग्रिफतार किया जा चुका है। सेवा मुक्त जस्टिस रणजीत सिंह कमिशन की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट ने इस अपराध की साजिश को बेनकाब किया है।
विदेशों में बसते पंजाबियों में पंजाब के लिए चिंता अधिक – अमन खटकड़
पूर्व जस्टिस रणजीत सिंह रिपोर्ट पर पंजाब विधान सभा में हुई बहस उपरंत प्रदेश सरकार की तरफ से बेअदबी और बरगाडी कांड के बिना बहबल कलां कांड की जांच सीबीआई से लेकर पंजाब पुलिस की एक विशेष टीम से करवाने के निर्णय से संतुष्टी जाहिर करते हुए मान ने कहा कि यह बरगाडी मोर्चे की दो अहम मांगों की पूर्ती है।
लंबे समय से देश की विभिन्न जेलों में बंद उन सिक्ख बंदियों की रिहाई अभी तक होनी बाकी है। मान ने कहा कि भारतीय संविधान की धारा 161 के तहत बाहरले राज्यों की जेलों में बंद बंदियों को राष्ट्रपति रिहा कर सकते है जबकि पंजाब के बंदियों को प्रदेश के गर्वनर कर सकतें है।
मान ने बताया कि पंथक नेताओं की आज की बैठक में यह समझ बनी है कि बरगाडी मोर्चा सफलता के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुका है। मान ने कहा कि अगर भारत व पंजाब सरकार अपनी सिफारिश राष्ट्रपति और गर्वनर को भेज दे तो बंद सिंहों की रिहाई संभव है। अगर ऐसी सिफारिश करने में कोई अड़चन पैदा होती है तो राजस्थान की तर्ज पर पंजाब सरकार दूसरे राज्यों में बंद बंदियों को पंजाब की जेलों में मंगवा कर उनकी रिहाई करवा सकती है।