कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद पार्टी में असंतुष्टों की बगावत सामने आने लगी है। लुधियाना दक्षिण से टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके बावा ने अपनी ही पार्टी के मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ चुनाव लड़ने का बिगुल फूंक दिया है। पंजाब में आंतकवाद के काले दौर में आंतकवादियों की गोलियो का सामना करने वाले श्री बावा ने राज्य में आतंकवाद के दौरा अपनी दोनों टांगों में लगी गोलियों के निशान दिखाते हुए कहा कि इस हमले में उनके दो साथी मारे गए थे और वह बाल बाल बच गये।
वर्ष 1992 में आंतकवादियों के डर से अकालियों ने पंजाब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था तो उस समय श्री बावा ने अपने रकबा गांव में एकेले घर से बाहर निकल कर मतदान किया था। जब मतों की गिनती हुई तो मतपेटी में केवल एक ही मत मिला था जो एक रिकार्ड है। श्री बावा का दर्द आज छलक उठा। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने उनके 45वर्ष के संघर्षमयी जीवन को दरकिनार कर लुधियाना दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से उन्हें टिकट न देकर उनके साथ नइंसाफी की गई है। उन्होंने कहा कि टिकटों के वितरण में पार्टी की गांधीवादी विचारधारा और सोच को छोड़ना पार्टी कार्यकर्ताओं के चिंता का विषय है।
कांग्रेस के तो अब वजूद पर ही खतरा मंडराने लगा है। पार्टी के हालात ये हैं कि इसमें मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को अपने परिवारिक सदस्यों के अलावा कुछ नजर नहीं आता। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने भाई को चुनाव मैदान में उतार दिया है। यह सब दिल्ली से चुनावों के लिये प्रभारी बन कर आये नेताओं के संरक्षण में एक गहरी साजिश के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय कांग्रेस बचाओ मोर्चा कर गठन कर असली कांग्रेसियों को एक मंच पर लाने की जरूरत है ताकि पार्टी के भविष्य के बारे में सोचा जा सके क्योंकि असंख्या कुर्बानियों से मिली आजादी को आज के नेता भुल चुके हैं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के वफादार सिपाही है और अंतिम सांस तक रहेंगे।