नशा पंजाब की जड़ को धीरे-धीरे खोकला कर रहा है। और पंजाब को इस नशे से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार लगातार कोई न कोई प्रयास करती रहती है। इसको ध्यान के रखकर पंजाब सरकार ने एक नया कदम उठाया है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पुलिसकर्मियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों का उनकी भर्ती के समय से उनकी सेवा के हर स्तर पर अनिवार्य डोप टेस्ट कराने का आदेश दिया। यही नहीं नियुक्ति के बाद भी सेवा के दौरान हर स्तर पर कर्मचारियों का डोप टेस्ट होगा। प्रमोशन से भी डोप टेस्ट किया जाएगा।
इसके लिए उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को इस बारे में दिशा-निर्देश तैयार कर उन्हें जारी करने के निर्देश दिए है। पंजाब में पिछले 33 दिनों में नशे से 42 युवाओं की मौत हो चुकी है। यदि केंद्र इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो प्रदेश में नशे का धंधा करने वालों पर कड़ी नकेल कसी जा सकेगी। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को पुलिस व अन्य सरकारी कर्मचारियों की नई भर्ती व प्रमोशन में डोप टेस्ट अनिवार्य करने का आदेश दिया।
इसके साथ ही पुराने सरकारी मुलाजिमों का सालाना डोप टेस्ट किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह को इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना जारी करने के आदेश दिया। नशा तस्करों के लिए मौत की सजा का प्रस्ताव पास के बाद मुख्यमंत्री ने यह एक और कड़ा फैसला किया है। पहले चरण में इसे भर्ती और प्रमोशन में लागू किया जाएगा।
पूर्व अकाली-बीजेपी सरकार ने जून 2016 में पुलिस मुलाजिमों की भर्ती के दौरान डोप टेस्ट अनिवार्य किया था। इस दौरान सरकार ने 3.76 लाख युवकों का डोप टेस्ट किया था। इनमें से 1.27 फीसद युवकों का डोप टेस्ट पॉजीटिव पाया गया था।कांग्रेस सरकार ने अब इसे पुलिस मुलाजिमों समेत सभी सरकारी मुलाजिमों पर लागू करने का फैसला किया है।