लुधियाना : शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के जिस हाउस ने जस्टिस रंजीत सिंह जांच कमीशन विरूद्ध गैर ईखलाकी और गैर कानूनी तरीके रदद करने का जो प्रस्ताव पास किया है, उसे इस हाउस को देने का कोई अधिकार ही नहीं, क्योंकि मोजूदा एसजीपीसी की कानूनी अवधि 2016 को समाप्त हो चुकी है और अब यह सिख कौम से संबंधित किसी भी फैसला करने का अधिकार ही नही रखती।
बीजेपी, आरएसएस, बादलों द्वारा सिख विरोधी साजिश और मोजदा एसजीपीसी के प्रधान लोंगोवाल समेत सदस्यों को उपरोक्त सिख कोम विरोधी प्रस्ताव पास करके सिख कोम के साथ बहुत बड़ा धोखा और फरेब किया है। जिसका परिणाम आने वाले दिनों में इन सबको सिख कोम और अकाल पुरख की अदालत में देना होगा।
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यह विचार सिमरजीत सिंह मान प्रधान शिरोमणि अकाली दल अमृतसर ने अवधि पूरी कर चुकी एसजीपीसी द्वारा रंजीत सिंह कमीशन को रदद करने की, की गई असफल कोशिश को अर्थहीन करार देते हुए सिख कौम के साथ धोखा कहा है।
मान ने लोंगोवाल और एसजीपीसी सदस्यों से कहा कि अगर वे गुरू ग्रंथ साहिब के हुए अपमान और सिख नौजवानों के कतलों की आई जांच रिपोर्ट को सही नहीं मानते तो गलियों और सडक़ों पर श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के पन्ने बिखेरने वाले और सिखों पर गोली चलाकर शहीद और जख्मी करने वाले कोन थे?
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साहिब श्री गोबिंद सिंह जी का स्वांग रचाकर सिख कौम की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले सिरसा साहिब को पहले माफी क्यों दी गई और माफी को उचित ठहराने के लिए एसजीपीसी के खजाने में से सिख कौम का 97 लाख रूपया विज्ञापनों पर क्यों खर्च किया गया? उन्होंने कहा कि जत्थेदारों ने सिरसा प्रमुख को दी गई माफी को परवान नहीं किया तो फिर माफी वापिस क्यों ली? स्मरण रहे इस सच को सामने लाने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड ने 1 जून 2018 से बरगाड़ी में इंसाफ मोर्चा लगाया हुआ है।
– सुनीलराय कामरेड