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सिख संगठनों ने आजादी दिवस को काले दिन के रूप में मनाकर किया रोष प्रदर्शन

देश की आजादी के 74वें वर्षगांठ के शुभअवसर पर जहां प्रत्येक राज्य में खुशियों और उललास के साथ जोश पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाया गया

लुधियाना-खन्ना : देश की आजादी के 74वें वर्षगांठ के शुभअवसर पर जहां प्रत्येक राज्य में खुशियों और उललास के साथ जोश पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाया गया, वही पंजाब के कई इलाकों में खालिस्तान समर्थकों ने छिपते-छिपाते खालिस्तानी ध्वज और झंडियां लहराई। वही कई इलाकों में सिख संगठनों ने आज के शुभ अवसर को काले दिवस के रूप में मनाते हुए मार्च पॉस्ट किए। संगरूर के जिला स्तरीय समारोह की तरफ बढ़ रहे सिख कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोका तो सिख कार्यकर्ताओं ने समागम स्थल से थोड़ी ही दूर मुख्य सडक़ पर खड़े होकर खालिस्तान के नारे लगाते हुए झंडे लहराएं।  
बाबा बचित्र सिंह, गुरनेब सिंह राजपुरा और अन्य सिख कार्यकर्ताओं की अगुवाई में रोष प्रकट करते हुए इन्होंने पंजाब सरकार पर 5 साल से अधिक का वकत बीत जाने के बाद सरकार द्वारा गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबियों के दोषियों को काबू करने में असफल रहने पर अपना प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि वह शिक्षा मंत्री बजिंद्र ङ्क्षसगला को काले झंडे दिखाकर विरोध करने पहुंचे थे जबकि पुलिस द्वारा बेरीकेट लगाकर उन्हें रोक लिया गया। उधर इतिहासिक नगर बाबा बकाला साहिब में आजादी दिवस के अवसर पर प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय ध्वज एसडीएम मेजर डॉ सुमित मुद द्वारा लहराया गया वही कुछ खालिस्तानी समर्थकों द्वारा तहसील कोम्पलेक्स के एक हिस्से में खालिस्तानी झंडे  लहराने की खबर है। पुलिस ने जानकारी मिलने से इंकार किया लेकिन सूत्रों से पता लगा कि पुलिस ने बाद में झंडे उतार लिए थे।  सिखों के आरोप है कि 74 सालों से लगातार उनसे भेदभाव किए जा रहे है। हजारों सिखों ने सजाएं पूरी करने के बावजूद जेलों में सड़ कर मर रहे है। उनका दावा था कि सिखों का देश की आजादी के लिए बड़ा योगदान रहा है। 
सीमावर्ती इलाके फिरोजपुर, अमृतसर और लुधियाना में आज अकाली दल अमृतसर के कार्यकर्ताओं ने आजादी दिवस को काले दिवस के रूप में मनाते हुए हाथों में सलोगन लिखी तखतियां पकडक़र काले और केसरी रंग के झंडे लहराकर प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि उन्हें काहे की आजादी, क्योंकि बंटवारे का पंजाब वासियों को उजाड़ के रूप में भुगतने के अतिरिक्त तत्कालीन हाकमों द्वारा किए गए वायदे पूरे नहीं हुए। उसके बाद भी निर्दोष सिखों के ऊपर अत्याचार करने के साथ-साथ 1984 कत्लेआम और सिख नस्लकुशी जेसी घटनाओं को षडयंत्र के तहत अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि आज भी सिख गुलाम है। 
उधर लुधियाना की खन्ना मंडी में शिव सैनिकों और सिख युवकों में उस वकत जमकर हंगामा हुआ, जब पंजाब सरकार समेत देश की सरकार द्वारा आतंकी करार दिए जा चुके खालिस्तानी समर्थक आगु गुरपतवंत सिंह पन्नू का संकेतिक पुतला जलाया गया तो सूचना मिलते ही कुछ निहंग सिंहों और 2 सिख युवकों ने आकर बवाल मचाया। पंजाब की तरफ से राष्ट्रीय प्रचारक महंत कश्मीर गिरी और प्रदेश उप प्रधान अवतार मौर्या की अगुवाई में खतीका चौक पर स्वतंत्रता दिवस समारोह रखा था। इस दौरान नीले बाने में पहुंचे एक निहंग सिंह ने मौके पर पहुंच तलवार निकाली और शिवसैनिकों को ललकारते हुए देख लेने की चेतावनी दी। इसी दौरान बीच बचाव करते हुए पुलिस ने मोका संभाला। खबर लिखे जाने तक शिव सैनिक और निहंग सिंह एक दूसरे के विरूद्ध एफआइआर दर्ज करवाने के लिए सिटी 2 थाना के  बाहर धरने पर बैठ गए। 
– सुनीलराय कामरेड

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