लुधियाना-मालेरकोटला : पिछले कई दशकों से अलग-अलग जेलों की काल कोठरियों में बंद रहे आतंकी दया सिंह लाहौरिया को आखिर 3 दशकों के बाद तिहाड़ की सलाखों के पीछे से पेरोल मिलने के बाद आजाद कर दिया गया। आज सुबह-सवेरे वह जिला संगरूर के गांव कस्बा भुराल में अपने पैतृक घर पहुंचे, जहां घर की दहलीज फांदते ही नम हो रही आंखों को पोछते हुए एक पल के लिए वह ठिठके फिर दबे कदमों से उस दीवार की तरफ बढ़े जिसकी छत्र-छाया में उन्होंने अपनी मां के संग जीवन बिताया था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दया सिंह लाहौरिया ने घर के बने कमरों और खाली पड़ी जमीन को देखते हुए पुरानी मिटटी की दीवार को छुआ, ऐसे लगा जैसे वह दीवारों से बीते कल का हालचाल पूछ रहे है और फिर वह अपने संगे-संबंधियों से मिलने कमरे में चले गए। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2016 में दया सिंह लाहौरिया को उनकी बुजुर्ग माता जिसकी आयु 85-90 वर्ष बताई जा रही थी, के देहांत पर अंङ्क्षतम संस्कार में शामिल होने के लिए एक दिन की पेरोल मिली थी, लेकिन सुरक्षा कारणों के मध्यनजर भाई लाहौरियां को पुलिस ने पैतृक घर में दाखिल नहीं होने दिया था।
किंतु इस बार भाई लाहौरियां को अमेरिका में रहने वाले उनके पुत्र सुरिंद्र सिंह संधू के शादी समारोह में शामिल होने के लिए बीते कल 20 दिन की पेरोल मिली है। पेरोल मिलने के बाद आज सुबह ही वह 8 बजे के करीब दिल्ली से कस्बां संदोड़ के नजदीक पड़ते अपने पैतृक गांव भुराला में पहुंचे। 25 सालों से विभिन्न केसों के कारण जेल की सलाखों में बंद दया सिंह लाहौरिया की रिहाई को लेकर उनके गांव के पुराने बुजुर्ग काफी खुश दिखाई दिए। इसी बीच दया सिंह लाहौरिया ने करीब 25 साल बाद अपने पुत्र के गले मिलकर बेहद भावुक दिखे।
भाई लाहौरिया जिनको सितंबर 1997 में उनकी धर्म पत्नी कमलजीत कौर के साथ अमेरिका से भारत लाया गया था तो उस वक्त उनके पुत्र सुरिंद्र सिंह संधू की आयु करीब 7 साल 5 माह की थी। दया सिंह लाहौरिया की पत्नी सरदारनी कमलजीत कौर ने बातचीत करते कहा कि भाई साहिब ने समस्त सेवा अपने कौम के लिए की है और वाहेगुरू ने उसी के चलते आज एक बार फिर इसी बरामदे में खुशियों के रंग खिले है, इसके लिए करोड़ों बार वाहेगुरू जी का शुक्राना है। हालांकि इस दौरान आसपास के दर्जनों गांवों के सिख नौजवान उन्हें छूने को उतावले दिखे। यह भी पता चला है कि एक दिन पहले उनके घर श्री अखंड पाठ साहिब का पाठ आरंभ हुआ है, जिसका भोग वीरवार को होगा।
स्मरण रहे कि दया सिंह लाहोरिया की आतंकवादियों गतिविधियों में हिस्सा लेने के आरोपों के तहत काफी नाम था। लुधियाना और मालेरकोटला के इलाकों में दहशतगर्दी का दूसरा प्रयाय भाई लाहौरिया माने जाते थे। पत्रकारों ने अलगअलग समूहों में जाकर उनसे मुलाकात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरों के सामने कुछ भी बोलने से स्पष्ट इंकार कर दिया। सुरक्षा के मध्यनजर उनके घर के बाहर सादी पुलिस मुलाजिम तैनात है और सीआईडी से संबंधित कई सरकारी मुलाजिम भी दिखाई दिए।
14 फरवरी को उनके पुत्र सुरिंद्र सिंह संधू की शादी का कार्यक्रम है। हालांकि इस दौरान कई सिख सिख आगु भी भाई लाहोरिया को उनके घर जाकर मिले और उनके बेटे को आर्शीवाद दिया। बहरहाल समय की रफतार के साथ लाहोरिया के प्रागंण की दीवारें और छते बदल चुकी है और वह बीते दिनों को अकेले चुपचाप जी लेना चाहते है।
– सुनीलराय कामरेड