लुधियाना : पड़ोसी मुलक चाइना द्वारा योजनाबद्ध तरीके से किए गए षडयंत्र को बेनकाब करते हुए पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान शहादत का जाम पीने वाले पंजाबी यौद्धाओं को लोगों द्वारा गरूर के साथ नम आंखों से आज अलग-अलग जिलों में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र ङ्क्षसह द्वारा शहीद हुए पंजाब सेे संबंधित जवानों को स्वयं उपस्थित होकर श्रद्धांजलि दी। तो पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुखबीर सिंह बादल ने भारत सरहद पर हुई घटना के दौरान गांव तेलेवाल के शहीद गुरविंद्र ङ्क्षसह के परिवारिक सदस्यों के साथ दुख सांझा करते हुए कहा कि ‘चीन लेता रहता है पंगा, शायद उसे भारतीय सेना की ताकत का आभास नहीं ।’
शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिह बादल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए पंजाब के चारों जवानों के परिवारों का सहारा बनें व शहीदों के गांवों में शहीदों के नाम पर यादगार स्थापित की जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी मांग की कि शहीदों के गांव के स्कूलों को उनके नाम देकर स्कूलों को अपग्रेड करें व गांव में शहीद के नाम से स्टेडियम बनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देश की सीमा पर चीन की सेना से लोहा लेते हुए जवान शहीद हुए हैं, जिनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
उधर आज चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कर्नल समेत शहीद हुए 20 सैनिकों में शामिल जिला मानसा की तहसील बुडलाडा के गांव बीरेवाला डोगरा के जवान गुरतेज सिंह की मृतक देह हवाई रास्ते से दाना मंडी बोहा पर बनाई गई अस्थाई हैलीपैड पर पहुंची, जिसे सडक़ के रास्ते गांव की दहलीज पर लाया गया। अत की तपती तपिश के बावजूद गांव के जवान को भारी संख्या में इलाके भर के लोग अंतिम दर्शनों की इंतजार में बैठे थे।
जबकि इसी हिंसा में शहादत का जाम पीने वाले नायब सूबेदार सतनाम सिंह भोजराज की मृतक देह जैसे ही गांव की दहलीज पर पहुंची तो समूह गांववासियों और इलाके की अन्य शख्सियतों ने भारत मां की जयघोष के नारे लगाकर श्रद्धांजलि दी और परिवारिक सदस्यों का मनोबल बढ़ाया। ताबूत में लिपटी मृत देह को अगिन शहीद के पुत्र प्रभजोत सिंह ने दी। इससे पहले पंजाब पुलिस की टुकड़ी द्वारा कई प्रकार की शोकमयी धूने बजाकर शहीद का मान-सम्मान किया और फिर शहीदों को सलामी दी गई। शहीद बेटे की अर्थी को कंधा मां जसबीर कौर और बेटी मनप्रीत कौर ने घर से श्मशानघाट तक दिया। गम और गुस्से के बीच क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर शहीद के पिता जागीर सिंह, पत्नी जसविंद्र कौर, पुत्री संदीप कौर और भाई सूबेदार सुखचैन सिंह ने गमगीन माहौल में भरे मन से कहा कि उन्हें सतनाम सिंह की शहीदी पर गरूर है।
उधर शहीद मनदीप सिंह के गांव शील का माहौल भी कुछ ऐसा ही था, जब भारतीय सेना द्वारा शहीद की मृत देह का ताबूत सैन्य सम्मान सहित, ‘बोले सो निहाल’ के जयकारे और शहीद मनदीप सिंह अमर रहे के नारों के साथ एक काफिले के रूप में गांव की शमशान घाट पर लाया गया। स्थानीय धर्मशाला में ही इलाके के लोगों ने शहीद की मृतक देह को श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर मृतक देह का अंतिम संस्कार धाॢमक रिति-रिवाजों के मुताबिक राष्ट्रीय सम्मान के साथ किया गया। व्याकुल मां शकुंतला कौर ने दो दिन से पानी तक नहीं पिया। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। मनदीप सिंह की शहादत के बारे में जानकारी मिलने के बाद से मां शकुंतला और शहीद की पत्नी गुरदीप कौर बेहाल हैं। मां की चीखों के साथ अपने जिगर के लाल को याद करके भविष्य के प्रति पूछे जा रहे सवालों को सुन वहां मौजूद हर किसी के आंसू बहने लगे। मनदीप सिंह के परिवार में उसकी पांच बहनें थी, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। मनदीप पांच बहनों में सबसे छोटा व इकलौता भाई था। मनदीप 18 साल के थे तो पिता लछमन सिंह का देहांत हो गया था। प्रशासन ने उनके इलाज के लिए घर पर ही चार डॉक्टरों व एक नर्स की टीम तैनात की हुई है। शहीद की मृतक देह पर भारतीय सेना की तरफ से पटियाला बिग्रेड के बिग्रेडियर अतुल भटट ने श्रद्धांजलि दी जबकि सूबेदार मनदीप सिंह की चिता को अगिन उनके 11 साल के पुत्र जोबन प्रीत सिंह ने दिखाई। शहीद मनदीप अपने पीछे विधवा मां शकुंतला कौर, धर्मपत्नी गुरविंद्र कौर और बेटे जोबन प्रीत सिंह और पुत्री महक प्रीत कौर समेत 3 बहनों को छोड़ गए है।
मानसा के तोलेवाल निवासी गुरतेज सिंह का आज अंतिम संस्कार हुआ। अंतिम संस्कार शमशान घाट की बजाए खेतों में ही किया गया क्योंकि शहीद को गांव के खेत-खलिहान बहुत पसंद थे। परिवारिक सदस्यों ने बताया कि उनका बेटा देश भक्ति की अकसर बातें करता था। जबकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने उगुुरतेज सिंह
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीमा पर शहीद होने वाले जवानों के परिवार को दी जाने वाली आर्थिक मदद को 10 लाख रुपये से बढ़ा कर 50 लाख कर दिया है। सरकार ने 21 साल पुराने नियम को बदल दिया है। स्मरण रहे कि लद्दाख में गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में पंजाब के चार सैनिक शहीद हो गए थे। दो शहीद सैनिकों को वीरवार की देर शाम को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। जबकि 2 का आज अंतिम संस्कार हुआ है।
– सुनीलराय कामरेड