पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के कारण तलाशने के लिये आज पार्टी प्रभारी हरीश चौधरी मालवा के उम्मीदवारों से बातचीत कर हार के कारणों को लेकर मंथन में जुटे हैं। मालवा जोन एक -दो की बैठक मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर दोपहर शुरू हुई जिसमें पार्टी प्रधान के तौर पर नवजोत सिद्धू तथा चरनजीत चन्नी भी मौजूद रहे।
हार के लिये कोई और नहीं अपने ही जिम्मेदार हैं। सिद्धू, चन्नी और सुनील
कांग्रेस के उम्मीदवारों की मंशा थी कि बैठक में वे अपनी बात खुलकर रखेंगे तथा सिद्धू और चन्नी इसमें भाग न लें। ज्यादातर हारे उम्मीदवार अब खुलकर कह रहे हैं कि हार के लिये कोई और नहीं अपने ही जिम्मेदार हैं। सिद्धू, चन्नी और सुनील जाखड़ की बयानबाजी ने किये धरे पर पानी फेर दिया जिसके कारण अब कांग्रेस को अपना वजूद बचाना भारी पड़ रहा है। कुछ नेता तो इस फजीहत के लिये पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश चौधरी और इससे पहले के प्रभारी हरीश रावत पर आरोप लगा रहे हैं कि चौधरी ने कांग्रेस की टिकटें बेचीं। उन्होंने चंडीगढ़ रहते हुये पार्टी की चिंता किये बगैर अपनी चिंता की और आलाकमान को अंधेरे में रखा।
पार्टी के सांसद भी हार के लिये सिद्धू तथा चन्नी को दोषी ठहरा रहे
हरीश चौधरी ने बैठक शुरू होने से पहले कहा कि वह हार के लिये जिम्मेदार हैं तथा मालवा क्षेत्र के उम्मीदवारों की वन टू वन बैठक में बातचीत कर हार के कारणों का पता लगाया जायेगा। उन्होने कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर हर उम्मीदवार से बात करूंगा। प्रभारी होने के नाते हार की जिम्मेवारी भी मेरी है। प्रदेश में कांग्रेस की हार से हर उम्मीदवार के चेहरे पर निराशा और अविश्वास साफ झलकता दिखाई दिया। उनके मन में पार्टी आलाकमान के प्रति भी उतनी ही नाराजगी है जितनी प्रदेश नेतृत्व के प्रति। पार्टी के सांसद भी हार के लिये सिद्धू तथा चन्नी को दोषी ठहरा रहे हैं। बड़ी मुश्किल से अपनी सीट बचाकर लाये सुखजिंदर रंधावा ने तो इतना तक कह दिया कि ठोको ताली (सिद्धू) ने कांग्रेस को ठोक दिया तथा उन्होंने तो हार के लिये पार्टी की हत्या कराने का इल्जाम तक सिद्धू पर मंढ दिया।
सिद्धू न तो किसी के साथ चलने को तैयार न किसी की बात मानने
दूसरे मंत्री राजिंदर तृप्त बाजवा ने कहा कि सिद्धू न तो किसी के साथ चलने को तैयार न किसी की बात मानने और सही मायने में उस पर किसी का नियंत्रण ही नहीं। कुछ मंत्री हार के लिये श्री जाखड़, अंबिका सोनी,सिद्धू और चन्नी पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। सभी के मन में इनके प्रति भड़स निकालने की होड़ लगी है। सांसद रवनीत बिट्टू से लेकर अमृतसर के सांसद औजला तक सर्वश्री सिद्धू तथा चन्नी को दोषी ठहरा रहे हैं।
सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी को गुमराह करने के बजाय सही बात से वाकिफ करायें
जाखड़ ने तो अब विधायक दल का नेता वोट के जरिये चुनने की मांग तक कर दी और किसी बाहरी व्यक्ति को प्रधानगी सौंपने के बजाय पार्टी में से विश्वसनीय,भरोसेमंद चेहरे को चुनने का आग्रह किया। अब समय आ गया है कि तीस साल तक राज्यसभा में बैठने वाले नेताओं को सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी को गुमराह करने के बजाय सही बात से वाकिफ करायें। चापलूसी ने कांग्रेस को इस हालत में ला खड़ किया। कांग्रेस की संस्कृति समझने वालों को पार्टी प्रधान बनाया जाये। अब अतीत पर माथा पच्ची करने के बजाय कांग्रेस को आगे की ओर देख सही फैसले लेने चाहिये।
गौरतलब है कि कांग्रेस पांचों राज्यों में बुरी तरह हारी तथा उत्तर प्रदेश में तो केवल एक सीट ही जीत सकी। पंजाब में आम आदमी पार्टी तथा शेष चार राज्यों में भाजपा की जीत हुई।