राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आंदोलनरत किसानों को बातचीत के लिए बुलाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए मंगलवार को कहा कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे आना चाहिए।
PM Modi ji must take the lead to resolve this impasse. Farmers’ genuine demands must be met.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 1, 2020
गहलोत ने ट्वीट किया, ‘‘किसान यूनियनों को बातचीत के लिए केंद्र का आमंत्रण सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन यह बहुत देरी से उठाया गया। इस आंदोलन को लेकर न केवल देश, बल्कि उन अन्य देशों में भी चिंता बढ़ रही है जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री को अगुवाई करनी चाहिए। किसानों की उचित मांगें माननी होंगी।
उल्लेखनीय है कि कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन के 32 सदस्यों की सरकार के साथ उच्च स्तरीय बातचीत शुरू हो गई। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के किसान नेताओं से बात की और योगेंद्र यादव को इस बैठक में शामिल नहीं करने का आग्रह किया। इस पर किसान संगठनों ने वार्ता का बहिष्कार करने का फैसला किया लेकिन यादव को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने स्वयं बैठक में शामिल होने इनकार कर दिया।
बैठक में शामिल होने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया कि उनकी सरकार के साथ बातचीत तभी संभव हो पायेगा जब उनके साथ सर्वश्री योगेंद्र यादव, हन्नान मोल्ला, शिव कुमार कक्काजी तथा गुरनाम सिंह चादुनी को बैठक में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बातचीत महत्वपूर्ण है इसलिए उनकी वजह से वार्ता को रोकना सही नहीं है। उन्होंने किसानों नेताओं से कहा कि बिना उनके बारे में सोचे अपना निर्णय लें।
गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देर रात किसान संगठनों को एक दिसंबर को अपराह्न तीन बजे विज्ञान भवन, नयी दिल्ली में बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। इस बैठक में उन सभी संगठनों को निमंत्रण दिया गया है, जिन्हें पिछली बैठक में बुलाया गया था। पुलिस की सुरक्षा में दो बसों में किसान नेताओं को बैठक स्थल पर लाया गया।