राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों के लिए लिए मिशन 25 लेकर चल रही कांग्रेस को पिछले 15 साल से चली आ रही चुनावी परंपरा का फायदा मिलने की उम्मीद है। 2004 के बाद से ही राज्य में उसी पार्टी को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें मिलती हैं जिसकी राज्य में सरकार होती है। हालांकि भाजपा को इस ‘परंपरा’ में बदलाव की आस है।
राज्य में लोकसभा की 25 सीटें हैं और पिछले लोकसभा चुनाव में ये सभी सीटें भाजपा के खाते में गयीं थी। इससे पहले केवल एक बार ही सारी की सारी सीटें किसी एक पार्टी के खाते में गयी और वह चुनाव था 1984 का। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए इस चुनाव में सभी सीटें कांग्रेस ने जीतीं। राज्य में एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनने की ‘परंपरा’ रही है। उसका ही असर लोकसभा चुनाव पर दिखता है।
राजस्थान में लोकसभा चुनावों के परिणामों को देखा जाए तो 2004 से ही ऐसा रुख देखने को मिला कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार बनती है, लोकसभा चुनाव में उसी को ज्यादा सीटें मिलती हैं। जबकि आमतौर पर राज्य के विधानसभा चुनाव के करीब छह महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होते हैं। राज्य में 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 120 और कांग्रेस को 58 सीटें मिलीं।
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इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने 25 में से 21 सीटें भाजपा की झोली में डाल दीं। चार सीटें कांग्रेस को मिलीं। 2008 के विधानसभा चुनाव में पासा पलट गया। कांग्रेस को 200 में 96 सीटें मिलीं और अशोक गहलोत ने सरकार बनाई। बसपा के सारे विधायक कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को बहुमत मिल गया।
विधानसभा चुनाव में भाजपा को 76 सीटें मिलीं। इसके ठीक बाद 2009 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 20 व भाजपा को चार सीटें मिलीं। एक सीट पर निर्दलीय किरोड़ीलाल मीणा चुने गए जो उस समय कांग्रेस के समर्थक थे। इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 163 सीटें मिलीं और कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गयी।
लोकसभा चुनाव के परिणाम तो और भी चौंकाने वाले रहे जब मोदी लहर के बीच राज्य के मतदाताओं ने सारी 25 सीटें भाजपा को दे दीं। यह अलग बात है कि पिछले साल दो सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस जीत गयी। पिछले दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 200 में से 100 सीटें मिली हैं।
भाजपा के पास 73 सीटें हैं। हालांकि दोनों पार्टियों को मिले वोटों में अंतर केवल लगभग आधे प्रतिशत का है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी को उम्मीद है कि इस मतांतर को वह लोकसभा चुनाव में बढ़ने नहीं देगी और परंपरा को तोड़ते हुए अच्छा प्रदर्शन करेगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद जयपुर में अपने पहले कार्यक्रम में इसकी उम्मीद भी जताई। राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान दो चरणों में 29 अप्रैल और छह मई को होना है।