राजस्थान विधानसभा में अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र जारी किए जाने संबंधी नए दिशा निर्देशों में विसंगति होने से उत्पन्न स्थिति पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री शाले मोहम्मद ने अपना जवाब पेश किया। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर बीजेपी विधायकों ने धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सदन का बहिर्गमन किया।
शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए यह मामला उठाया और कटारिया ने अल्पसंख्यक सर्टिफिकेट जारी करने में सरलीकरण के बहाने धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि मंत्री ने एक व्यक्ति के आधार पर कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने के बारे में कहा गया जो दुर्भाज्ञपूर्ण हैं।
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उन्होंने कहा कि मंत्री ने एक व्यक्ति के कहने के बाद पत्र लिखा है। चीता, मेहरात, काठात जातियों के लोगों को केवल ओबीसी प्रमाण पत्र या शपथ पत्र के आधार पर अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र देने का प्रावधान करना धर्मातंरण का लालच देना है और इस तरह धर्मांतरण का रास्ता खोला जा रहा हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चों को छात्रावास में भर्ती कराने का लालच देकर धर्मांतरण कराने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि इससे असंतोष पैदा हो रहा है।
अल्पसंख्यक मंत्री मोहम्मद ने अपने जवाब में कहा कि प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया तय है और उन्होंने चिट्ठी लिखकर सरकार के तय नियमों के अनुसार ही कार्यवाही करने के लिए कहा था। अगर गलत प्रमाण-पत्र जारी होता हैं तो जिला स्तर पर कमेटी बनी हुई हैं वह निरस्त कर सकती है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने चर्चा समाप्त कर दी लेकिन बीजेपी सदस्य मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और बोलने लगे। बाद में बीजेपी सदस्य 12 बजकर 32 मिनट पर सदन से बहिर्गमन कर गए।