जयपुर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि राहुल गांधी का मंदिरों में जाना महज दिखावा भर नहीं था, बल्कि यह इस बात को जाहिर करता है कि अतीत में जो चुपचाप किया गया, उसे अब खुल कर किया गया। थरूर ने गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान राहुल के मंदिरों में जाने के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही। उन्होंने हाल ही में यहां संपन्न हुए जयपुर साहित्य उत्सव में पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ बहुत से हिंदू, विशेष रूप से मेरी पीढ़ी के, हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों और उसका पालन करने वालों की तरह पले बढ़े हैं लेकिन उन्होंने इसे कभी बाहर प्रदर्शित नहीं किया क्योंकि उन्हें ऐसा करना पसंद नहीं था। ’’
61 वर्षीय नेता ने कहा कि उन दिनों धर्म को आपके आचरण का एक अत्यंत निजी विषय माना जाता था जिसे आप बाहरी दुनिया को दिखाना पसंद नहीं करते थे और किसी भी मामले में आपके धर्म का आपकी राजनीतिक संबद्धता से कोई लेना देना भी नहीं था। हालांकि, थरूर ने कहा कि अब हिंदू विचारधारा और धर्म राजनीति के केंद्र में रख दिए गए हैं और इसका समर्थन करने वाले लोग खुल कर कह रहे हैं कि सिर्फ वे ही असली हिंदू हैं और बाकी लोग बुरे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुताबिक हम उस चीज को सार्वजनिक रूप से दिखा सकते हैं जिसे हम निजी तौर पर कर रहे हैं लेकिन उनके विचार में यह महज दिखावा नहीं हो । महज यह बात है कि अतीत में जो चुपचाप किया जाता था, उसे अब खुल कर किया जा रहा है। ’’
थरूर ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि राहुल कांग्रेस में एक बदलाव के प्रतीक हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि कांग्रेस ने राहुल के प्रभावी चुनाव प्रचार के चलते गुजरात में अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस के पास अब एक ‘ऊर्जावान नेता’ है जो एक सरल शैली में चुटीले शब्दों का इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकते। उन्होंने कहा कि जब राहुल ने डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान समर्थक बयान के बाद एक ट्वीट किया तो कुछ लोगों ने पूछा कि यह क्या है। लेकिन कई ने कहा कि क्या तरोताजा करने वाली शैली है, आइए इस बंदे को सुना जाए। इसलिए, कई मायनों में मैं कहूंगा कि हमारी राजनीति बदल रही है और राहुल गांधी उस बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं और उसके प्रतीक हैं। थरूर ने यह भी कहा कि कांगेस की आगामी लोकसभा चुनाव में अच्छी संभावना है। तिरूवनंतपुरम से सांसद ने कहा कि कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से जिस तरह से गति पकड़नी शुरू की है उसके चलते हमें इस बारे में अफवाह सुनने को मिल रही है कि सरकार आम चुनाव आगे बढ़ा सकती है क्योंकि इसे लगता है कि यदि मार्च- अप्रैल 2019 में चुनाव हुए तो वह हार जाएगी।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।