भाजपा और कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर बागी बन उतरे कई उम्मीदवारों ने राज्य की 200 में से 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।
दोनों पार्टियां अपने वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बावजूद बागी हुए नेताओं को मनाने में विफल रहीं और नाम वापसी की अंतिम तारीख गुरुवार को निकल गयी। पार्टी की टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए भाजपा के प्रमुख उम्मीदवारों में चार मंत्री सुरेंद्र गोयल (जैतारण), हेम सिंह भडाना (थानागाजी), राजकुमार रिणवा (रतनगढ़) और धन सिंह रावत (बांसवाड़ा) है। इसके अलावा, उसके मौजूदा विधायक नवनीत लाल निनामा (डूंगरपुर), किशनाराम नाई (श्रीडूंगरगढ़) तथा अनिता कटारा (सांगवाड़ा) शामिल है।
इसके साथ ही भाजपा के बड़े नेता जैसे राधेश्याम (गंगानगर), पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे (मारवाड़ जंक्शन), दीनदयाल कुमावत (फुलेरा) ने भी अपनी-अपनी सीटों पर मामले को कड़ा कर दिया है।
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इस बीच, भाजपा ने बागियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए गुरुवार देर रात अपने 11 बागी नेताओं को छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया। निकाले गए नेताओं में राज्य के चार मौजूदा मंत्री भी शामिल है। पार्टी का कहना है कि आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने के कारण इन नेताओं को निकाला गया है।
पार्टी ने अपने मंत्रियों को पार्टी से तो निष्कासित किया है लेकिन उन्हें मंत्री पद से नहीं हटाया है। भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीते दो-तीन दिन लगातार बागियों को मनाने की कोशिश करते रहे। इन प्रयासों के तहत भाजपा अपने विधायक ज्ञानदेव आहूजा, भवानी सिंह राजावत, तरूण राय कागा व अलका गुर्जर को मनाने में सफल रही।
वहीं, कांग्रेस में टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए प्रमुख नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री माधन सिंह (खंडेला), राज्य के पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर (दुदू), पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया (किशनगढ़) व अन्य शामिल हैं जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं।
बागियों के निष्कासन पर केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पार्टी ने सामान्य प्रक्रिया के तहत अपने कुछ नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। उन्होंने विश्वास जताया,‘ बागी उम्मीदवारों से कोई असर नहीं होगा और हम अधिकांश सीटें जीतेंगे।’
वहीं बागी हुए पार्टी नेताओं की राय अलग है। गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं पांच बार का विधायक हूं और मेरे विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है। इसके बावजूद पार्टी ने मेरी टिकट काटकर ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जो वार्ड पंच का चुनाव भी हार चुका है। मैं तो पहले ही पार्टी की सदस्यता व मंत्री पद से इस्तीफा दे चुका हूं इसलिए मेरे खिलाफ पार्टी की कार्रवाई का कोई मतलब नहीं है।’’
गोयल ने 2013 के विधानसभा चुनाव में जैतारण सीट पर 34,874 मतों से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि वह निर्दलीय के रूप में लड़ रहे हैं और जीतेंगे।
बांसवाड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे मंत्री धन सिंह रावत ने भी कहा कि पार्टी के फैसले का उनके लिए कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी की कार्रवाई की क्यों परवाह करूं। मैं परवाह नहीं करता। मैं चुनाव लड़ रहा हूं और जीतूंगा।’’
बागियों के साथ कई सीटों पर बसपा जैसे दलों के या निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। राज्य में 200 सीटों के लिए सात दिसंबर को मतदान होगा।