सुप्रीम कोर्ट राजस्थान में बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय होने से संबंधित मामले में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ बीजेपी विधायक की याचिका पर 6 विधायकों द्वारा अलग से दायर याचिका के साथ कल सुनवाई की जाएगी।
बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस विधायक के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार करने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। इन छह विधायकों ने अलग से दायर अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि हाई कोर्ट में लंबित दिलावर की याचिका वह अपने यहां स्थानांतरित करे।
दिलावर ने इस याचिका में बसपा विधायकों को पार्टी व्हिप का कथित उल्लंघन करने के कारण अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया है। दिलावर ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के छह अगस्त के आदेश को चुनौती है जिसमें एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका का निस्तारण कर दिया गया।
एकल न्यायाधीश ने इन छह विधायकों के कांग्रेस विधायक के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई के दौरान दिलावर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने इन विधायकों का कांग्रेस में विलय स्वीकार करते हुए पिछले साल सितंबर में इस मामले में आदेश पारित किया था।
उन्होंने कहा कि बसपा का कहना है कि उनका कभी विलय नहीं हुआ। यह मामला हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष लंबित होने के तथ्य का जिक्र करते हुए साल्वे ने छह विधायकों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने का भी उल्लेख किया। पीठ ने कहा कि वह दोनों मामलों पर कल सुनवाई करेगी।
हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश ने इस मामले में कोई भी अंतरिम राहत नहीं दी थी और उसने इन छह विधायकों के विधान सभा में कांग्रेस सदस्य के रूप में काम करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। विधायक संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीना, जोगेन्द्र आवना और राजेन्द्र गुध 2018 के विधान सभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे लेकिन सितंबर, 2019 में वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
इन विधायकों ने पिछले साल 16 सितंबर को अपने विलय के बारे में एक आवेदन किया था और दो दिन बाद विधान सभा अध्यक्ष ने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। बसपा विधायकों के विलय से राजस्थान में 200 सदस्यों वाली विधान सभा में सत्तारूढ़ अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर 107 हो गयी थी।
इन छह विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का मुद्दा उठाने वाली इसी तरह की दूसरी याचिकायें उसके समक्ष लंबित हैं, अत: हाई कोर्ट में उनके खिलाफ दायर याचिकायें भी यहीं स्थानांतरित की जानी चाहिए।
इन विधायकों की दलील है कि हाई कोर्ट विशुद्ध रूप से राजनीतिक सवालों में न्यायिक समीक्षा के अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है परंतु वह यह परख सकता है कि क्या ये सवाल संवैधानिक कर्तव्यों या दायित्वों से तो नहीं निकले हैं। हाई कोर्ट में बीजेपी नेता दिलावर और बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश मिश्रा ने अलग अलग याचिकायें दायर की हैं।
दिलावर ने कांग्रेस में बसपा विधायकों के विलय को चुनौती देने वाली उनकी याचिका बगैर सुनवाई के ही खारिज किये जाने के विधान सभा अध्यक्ष सी पी जोशी के आदेश पर सवाल उठाये हैं। दूसरी ओर, मिश्रा ने इन विधायकों के दल बदल को चुनौती दी है लेकिन इन विधायकों ने उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है।