हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इसे काला अष्टमी भी कहते हैं। अधिका कालाष्टमी भी इसे कहते हैं क्योंकि अधिकमास इस माह में आते हैं इसलिए कहा जाता है। शुक्रवार 9 अक्टूबर यानी आज कालाष्टमी इस माह पड़ रही है। कालाष्टमी में कालभैरव की पूजा की जाती है और इस दिन भक्त शिवजी के स्वरूप कालभैरव की पूजा और व्रत रखते हैं।
कालभैरव जयन्ती सबसे मुख्य कालाष्टमी को मनाई जाती है। बता दें मार्गशीर्ष के महीने में उत्तरी भारतीय पूर्णिमान्त पचांग में आती है वहीं दूसरी तरफ कार्तिक महीने में दक्षिणी भारतीय अमान्त पचांग में आती है। लेकिन,कालभैरव जयन्ती एक ही दिन दोनों पचांग में मनाई जाती है। मान्यता है कि भैरव के रूप में भोलेनाथ उस दिन प्रकट हुए थे। भैरव अष्टमी के नाम से भी कालभैरव जयन्ती भी कहते हैं।
ये है अधिका कालाष्टमी का मुहूर्त
आश्विन,कृष्ण अष्टमी पर 9 अक्टूबर शाम के 5 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 अक्टूबर शाम के 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।
ये है अधिका कालाष्टमी की पूजा-विधि
भैरव चालीसा का पाठ इस दिन भक्त करें। कुत्ते को भोजन कालाष्टमी के शुभ दिन पर कराएं। कहते हैं कि अपने भक्तों से प्रसन्न भैरव बाबा ऐसा करने से होते हैं और उनकी सारी मुरादें पूर्ण कर देते हैं। कुत्ता भी भैरव बाबा का वाहन है इसी वजह से कुत्ते को भोजन इस दिन कराना चाहिए इससे भक्तों केे विशेष फल भैरव बाबा देते हैं।
ये है अधिका कालाष्टमी की पौराणिक मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि पापियों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने इस दिन अपना रौद्र रूप लिया था। बटुक भैरव और काल भैरव शिवजी के दो रूप बताए गए हैं। शिवजी का बटुक भैरव रूप सौमय होता है जबकि काल भैरव रूप उनका रौद्र होता है। रात को पूजा मासिक कालाष्टमी को करते हैं और अपने भक्तों की मुरादें भी काल भैरव की पूजा इस दिन करने से पूरी होती हैं। इसके बाद जल रात को चंद्रमा के दिन व्रत पूरा करने के बाद चढ़ाना होता है।