लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकियों ने संसद को थर्रा दिया। भारतीय संसद पर हुए इस हमले में आतंकियों समेत पूरे 12 लोगों की मौत भी हुई। तब वाजपेयी सरकार ने इस हमले की कड़ी प्रतिक्रिया देने का निर्णय लिया और तब सीमा पर 5 लाख से ज्यादा सैनिकों को खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं फाइटर विमान और नेवी के जहाज कड़ा संदेश देने के लिए तैयार कर दिए गए। फिर करीब 6 महीने तक सीमा पर तनाव की स्थिति भी रही और एक्सपट्र्स का मानना है कि दोनों देश दो बार युद्घ के काफी पास तक पहुंचे। लेकिन बाद में अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद मुशर्रफ ने बयान जारी किया तब जाकर सीमा पर से सैनिक हटाए गए।
कहा- राजधर्म का पालन हो
गुजरात दंगों के वक्त राज्य मशीनरी पर ऐंटी मुस्लिम हिंसा में साथी होने के आरोप भी लगे थे। ऐसे में फिर मोदी सरकार की निंदा करने में हिचकिचाहट को लेकर वाजपेयी की आलोचना की गई। फिर अहमदाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त पीडि़तों के पुनर्वास की घोषणा करते हुए वाजपेयी ने बोला कि मोदी को राजधर्म का पालन करना चाहिए।
किया गया शांति का एक और प्रयास
वाजपेयी और मुशर्रफ की इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन में मुलाकात हुई। उस वक्त पहली बार मुशर्रफ ने आधिकारियों से माना कि आतंकियों को भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जमीन का प्रयोग नहीं करने दिया जाएगा। इस तरह से भारत और पाक के बीच कंपोजिट डायलॉग चालू हुआ।