दिल्ली की एक ऐसी लड़की जिसने हमें जिंदगी में किसी भी हालात में हार ना मानना सिखाया है। इस लड़की ने हार ना मानने की ऐसी प्रेरणा दी है जिसे सुनकार आप भी उस गर्व करेंगे। यह डायलॉग को आपने जरूर सुना होगा हम एक बार जीते हैं, एक बार मरते हैं। लेकिन हम जिंदगी और मौत के बीच में कैसे अपनी जिंदगी जीते हैं इसकी मिसाल आंचल शर्मा ने दी है।
दिल्ली के रंगपुरी इलाके में आंचल हर रोज झुग्गियों के 100 से 200 बच्चों को खाना खिलाती है। बता दें कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से आंचल ग्रस्ति है। इस समय आंचल की कीमोथेरेपी चल रही है। जहां लोग बीमारी का सुनकर शोक मनाने लगते हैं वहीं आंचल अपनी बीमारी पर दुखी होने के बजाय लोगों में खुशियां बांट रही हैं। किसी भी डॉक्टरी सेशन से ज्यादा बच्चों की मुस्कान आंचल को अच्छा कर रही है।
घरेलू हिंसा, धोखाधड़ी, बहन की हत्या और कैंसर
बता दें कि कई सारे उतार-चढ़ाव आंचल की जिंदगी में आए हैं। खबरों के अनुसार, आंचल ने अपनी इस जिंदगी में हर हालातों का अनुभव ले लिया है। भुखमरी से लेकर घरेलू हिंसा तक, लाखों की धोखाधड़ी इतना ही नहीं छोटी बहन की हत्या तक इन सभी का उसने सामना किया है। आंचल को तीसरे स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर के बारे में साल 2017 में पता चला था।
ऑटो चलाते थे पिता, मजदूरी करती थी मां
आंचल का जन्म एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। आंचल के पिता ऑटो चलाते थे। आंचल के पिता ने अपनी पूरी कमाई और बचत लोगों की सलाह पर एक जगह पर निवेश कर दी थी। उसके बाद हालात सुधरने की बजाए और भी बदतर हो गए थे। आंचल के पिता शराब पीने लग गए थे।
घर का माहौल धीरे-धीरे खराब हो गया। आंचल ने बताया कि, एक कारखाने पर उसकी मां मजबूरी में मजदूरी करना शुरु हुईं थी। लेकिन मां की नौकरी वहां पर मजदूरों की छंटनी की वजह से चली गई। एक ऐसा भी समय था जब हमारे पास पैसे खाने के लिए भी नहीं होते थे।
2.5 लाख की धोखाधड़ी पैसों की तंगी के बीच हो गई
पैसों की तंगी की वजह से आंचल और उसके भाई ने बीच में ही स्कूल छोड़ दिया। आर्थिक तंगी की वजह से स्कूल छोड़ने के बाद मैकेनिक के तौर पर आंचल के भाई ने काम करना शुरु किया और वहीं एक रिसेप्शनिस्ट की नौकरी आंचल करने लगीं। स्कूल की डिग्री नहीं थी जिसकी वजह से वेतन कम नहीं मिलता था। रियल एस्टेट में आंचल ने अपने दोस्त की मदद से जॉब करना शुरु किया। वहां पर आंचल ने एक एजेंट के तौर पर काम किया लेकिन उस दौरान 2.5 लाख रुपयों की धोखाधड़ी हो गई थी।
हत्या हो गई बहन की, खुद आंचल ने तलाक ले लिया शादी के बाद
बता दें कि आंचल की एक छोटी बहन थी जिसने प्रेम-विवाह किया था। लेकिन पांच महीने के बाद बहन की हत्या की खबर सामने आई। उसके बाद आंचल ने अपनी बहन को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ना शुरु किया। बहन के पति को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा दिलवाई।
उसके बाद आंचल के परिवार वालों ने शादी का दबाव उस पर बनाना शुरु कर दिया। आंचल ने भी शादी कर ली लेकिन पैसों के लिए ससुराल वालों ने आंचल को मानसिक और शारीरिक रूप से तंग करना आंचल को कर दिया। आंचल ने अपने पति को तीन महीने में ही छोड़ दिया और तलाक दे दिया।
स्टेज थ्री ब्रेस्ट कैंसर के बारे में 2017 में पता चला
तलाक के बाद आंचल ने दुबारा से रियल एस्टेट में ही काम करना शुरु किया। उन दिनों आंचल की मां भी बीमार रहती थीं। मां के इलाज का एकमात्र सहारा आंचल ही थीं। इसी बीच आंचल को ब्रेस्ट कैंसर का साल 2017 में पता चला। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सुनकर हर कोई टूट जाता है। लेकिन इस बीमारी से डरने की बजाय आंचल अपनी जिंदगी पूरी उत्साह से जीती है। आंचल कहती है कि अगर आपको अपनी जिंदगी खुशहाल बनानी है तो उसे हर तरह से संभव कोशिश करनी होगी।
बच्चों को खाना खिलाने की शुरआत ऐसी हुई
आंचल जब एक दिन इलाज करवाकर वापस आ रही थी तभी झुग्गी के बच्चों को खाना खिलाने की शुरुआत हुई। आंचल ट्रैफिक सिग्नल पर थी तभी एक बच्चा भीख मांगता हुआ उसके पास आ गया। लेकिन आंचल ने उसे पैसे नहीं दिए बल्कि उसे ढाबे पर ले जाकर खाना खिलाया।
बच्चों के ऐसे कपड़े देखकर ढाबे के मालिक ने उन्हें खाना नहीं दिया। इस कड़वी सच्चाई को देखकर आंचल अंदर से टूट गई। उसके बाद क्या रंगपुरी की मलिन बस्तियों के बच्चों को आंचल हर रोज घर से खाना बनाकर खिलाती हैं।
आंचल कर रही हैं क्राउड फंडिंग
बच्चों के साथ-साथ जरूरतमंद गरीबों को भी आंचल खाना खिलाती हैं। एनजीओ मील ऑफ हैप्पीनेस की भी शुरुआत आंचल ने इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए की।
आंचल का सपना है कि वह 5000 से भी ज्यादा बच्चों को हर दिन खाना खिला सके। क्राउड फंडिंग इसके लिए आंचल कर रही है।