कर्नाटक के पूर्व सीएम एसएम कृष्णा के दामाद और सीसीडी के फाउंडर वीजी सिद्धार्थ बीते सोमवार रात से लापता है। लापता होने से पहले वह एक भावुक चिट्ठी छोड़ कर गए हैं। सिद्धार्थ ने यह चिट्ठी तीन दिन पहले लिखी थी और उसमें अपनी सारी परेशानियों के बारे में भी बताया है।
कंपनी को हो रहे नुकसान और भारी कर्ज के बारे में इस चिट्ठी में बताया गया है। इसके साथ ही उन्होंने आयकर विभाग के पूर्व एक डीजी के दबाव के बारे में भी बात की है। बीते सोमवार रात से सिद्धार्थ का कुछ नहीं पता है। वहीं पुलिस ने उनके ड्राइवर का बयान लिया है जिसके बाद उनका मानना है कि उन्होंने शायद आत्महत्या कर ली है।
देनदारों के दबाव के बारे में सिद्धार्थ ने बताया
सिद्धार्थ का यह पत्र उनके लापता होने के बाद सामने आया है और इसे उन्होंने 27 जुलाई को लिखा था। इस पत्र में सिद्धार्थ ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सीसीडी परिवार से कहा है कि अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी वह 37 साल बाद एक सही और फायदे वाला बिजनस मॉडल नहीं बना पाए।
काफी समय तक लड़ता रहा लेकिन अब हार गया हूं
सिद्धार्थ ने पत्र में लिखा है, जिन लोगों ने मुझ पर विश्वास किया उन्हें निराश करने के लिए मैं माफी चाहता हूं। मैं लंबे समय से लड़ा लेकिन आज मैं हार मानता हूं क्योंकि मैं एक प्राइवेट इक्विटी लेंडर पार्टनर का दबाव नहीं झेल पा रहा हूं, जो मुझे शेयर वापस खरीदने के लिए फोर्स कर रहा है। इसका आधा ट्रांजैक्शन मैं 6 महीने पहले एक दोस्त से बड़ी रकम उधार लेने के बाद पूरा कर चुका हूं। सिद्धार्थ ने अपने पत्र में बताया है कि दूसरे लेंडर उन पर दबाव बना रहे थे जिसकी वजह से वह हार चुके हैं।
आयकर विभाग के पूर्व डीजी पर लगाया प्रताड़ना का आरोप
आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी पर भी सिद्धार्थ ने पत्र में प्रताड़ना का आरोप लगाया है। पत्र में सिद्धार्थ ने लिखा है कि आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी ने दो बार उनके शेयर्स को अटैच किया जिसके बाद माइंडट्री के साथ ही उनकी डील ब्लाक हो गई। कॉफी डे के शेयर्स की जगह भी ले ली, जबकि संशोधित रिटर्न्स उनकी ओर से फाइल किए जा चुके थे। अपने पत्र में सिद्धार्थ ने इसे गलत बताया है और इसकी वजह से पैसों की कमी भी हो गई।
मैं जिम्मेदार हूं
सिद्धार्थ ने नए मैनेजमेंट के साथ अपने स्टाफ को बिजनस चलाने के लिए भी कहा है। सारी गलतियों के लिए उन्होंने अपने आपको जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पत्र में लिखा, हर फाइनैंशल ट्रांजैक्शन मेरी जिम्मेदारी है। मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को मेरे सारे ट्रांजैक्शन्स के बारे में कुछ नहीं पता। कानून को मुझे और सिर्फ मुझे जिम्मेदार बताना चाहिए क्योंकि मैंने यह जानकारी सबसे छिपाई, अपने परिवार से भी ।
मकसद नहीं था धोखा देना
इसके साथ ही खत में सिद्धार्थ ने सफाई देते हुए कहा है कि धोखा देने का कोई उनका मकसद नहीं था। उन्होंने अपने आपको एक असफल ऑन्त्रप्रन्योर कहा है और आशा की है कि उन्हें समझा और माफ किया जाएगा। अपनी संपत्तियों का ब्योरा और कीमत के बारे में भी खत में बताया है।