शुक्रवार 27 मार्च यानी आज नवरात्रि में दुर्गा-उपासना के तीसरे दिन पूजा का बहुत महत्व होता है। मां वैष्णों देवी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के विग्रह का पूजन-अर्चन किया जाता है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप कल्याणकारी और शन्तिदायक है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के सामान चमकीला है। इसके अलावा देवी मां के माथे पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र विराजमान है। इस वजह से इन्हें चंद्रघटां कहा जाता है।
देवी मां कष्टों का करती है विनाश
मां चंद्रघटां के गले में हमेशा सफेद फूलों की माला रहती है। इनकी मुद्रा भी कुछ इस तरह है कि यह युद्घ के लिए तत्पर हैं। इतना ही नहीं इनके घंटे की तरह खौफनाक ध्वनि से गलत काम करने वाले को ये किसी भी हालात में छोड़ती नहीं हैं। इनका स्वरूप दर्शक और आराधक के लिए काफी ज्यादा सौम्यता और शंति से परिपूर्ण भी रहता है।
अत: इन सभी चीजों के अलावा मां चंद्रघंटा अपने भक्तों के कष्टों का भी जल्द से जल्द निवारण कर देती है। देवी मां का वाहन सिंह है और इनका उपासक सिंह की तरह ही पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।
मां चंद्रघंटा के भक्त उन्हें देख करते हैं शांति अनुभव
देवी चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि हमेशा अपने भक्तोंगणों की प्रेत-बाधदि से उनकी रक्षा करती है। देवी का ध्यान कर लेने से शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है। इतना ही नहीं इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है और मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा पा लेनेे से आलोकिक वस्तुओं का दर्शन भी हो जाता है।
बता दें कि वैसे चंद्रघंटा के भक्त जिस जगह भी जाते हैं लोग उन्हें देख बहुत शांति का अनुभव करते हैं। इनके साधक के शरीर से दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता है और यह दिव्य क्रिया कोई आम चक्षुओं से दिखाई नहीं देती है,लेकिन कोई भी उसके संपर्क में आने के बाद लोग इस बात का अनुभव स्वंय कर लेते हैं।