घर की रसोई में केवल घर के लिए खाना ही नहीं पकता बल्कि घर की रसोई में समाई होती है घर में रहने वाले लोगों की तरक्की।वास्तु शास्त्र में रसोई घर की दिशा के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वहीं वास्तु के नियमानुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन भूलकर भी नहीं बनवाना चाहिए। इस दिशा में किचन का होना एक भारी वास्तु दोष का संकेत होता है जिसके कारण जातकों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिस प्रकार वास्तु के नियमों से किचन की दिशा का विचार किया जाता है उसी प्रकार से किचन में क्या होना चाहिए क्या नहीं, इस बात का भी विचार वास्तु शास्त्र से किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन में चार चीजें गलती से भी खत्म नहीं होनी चाहिए।
रसोई में माता अन्नपूर्णा का वास होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में कुछ चीजों को कभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं होना चाहिए वरना अशुभ होता है और माता अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं।
रसोई में नमक खत्म होना है घातक
नमक का प्रयोग खाने में स्वाद के लिए किया जाता है। यह किचन की जरूरी सामग्री में शामिल है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, रसोई घर पर नमक खत्म नहीं होना चाहिए। दरअसल, रसोई घर पर नमक का खत्म होना अशुभता को दर्शाता है। वास्तु का नियम कहता है कि घर पर नमक का खत्म होना घर पर वास्तु दोष को पैदा करता है।
किचन में हल्दी का खत्म होना होता है अशुभ
हल्दी का प्रयोग खाने में रंग और स्वाद के लिए किया जाता है। हल्दी शुभ कार्यों में भी प्रयोग होती है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर में हल्दी खत्म होना अशुभ माना जाता है। दरअसल हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति ग्रह से है। किचन में हल्दी का खत्म होना गुरु ग्रह के अशुभ होने का संकेत होता है। घर की तरक्की रुक जाती है।
रसोई में आटा खत्म नहीं होने दें
वास्तु शास्त्र के नियमानुसार रसोई घर में आटा कभी भी खत्म नहीं होना चाहिए। वास्तु में आटा खत्म होने को बेहद अशुभ माना गया है। यह वास्तु दोष पैदा करता है। जिसके कारण समाज में मान-सम्मान घटता है और पद-प्रतिष्ठा में कमी आती है।
चावल का शुक्र ग्रह से है संबंध
अक्सर लोगों की आदत होती है कि वो चावल पूरी तरह खत्म होने के बाद ही बाजार से मंगाते हैं लेकिन ऐसा करना गलत होता है। चावल का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। शुक ग्रह भौतिक सुख का कारक होता है। घर में चावल खत्म होने से पहले ही उसे मंगवा लें वरना भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहना पड़ सकता है।