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यह मजदूर अपने गांव 15 साल के बीमार बेटे को चारपाई पर लेकर जा रहा था, फिर पुलिस ने ऐसे की मदद

सोशल मीडिया पर दर्दनाक तस्वीरें और वीडियो देशभर से प्रवासी मजदूरों की वायरल हो रही है। उनकी बेबसी और मजबूरी प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है।

सोशल मीडिया पर दर्दनाक तस्वीरें और वीडियो देशभर से प्रवासी मजदूरों  की वायरल हो रही है। उनकी बेबसी और मजबूरी प्रवासी मजदूरों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। कई मजदूरों के पैर सड़क पर नंगे पैर इस चिलचिलाती गर्मी में चलकर छिल गए हैं जबकि कुछ सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। 
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इसके बावजूद भी प्रवासी मजदूरों की संख्या पैदल घर जाने के लिए कम नहीं हो रही है। ऐसा ही एक मजदूर का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है जिसमें चारपाई के सहारे अपने बीमार बेटे को कंधे पर लटका कर घर ले जा रहे हैं। इस लम्हे को किसी ने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया और उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। 
चोट लग गयी थी बेटे को 

कई सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स पर इस वायरल वीडियो को साझा किया गया है। ट्विटर पर इस वीडियो को 15 मई Supriya Bhardwaj नाम की एक यूजर ने पोस्ट किया। उन्होंने इस वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा, 15 दिन से चल रहे हैं। मध्य प्रदेश जा रहे हैं। बच्चे को चोट लगी है। खाट पर उसको लेकर जा रहे है, परिवार जनों के साथ। अब तक इस वीडियो को 1 हजार से ज्यादा लाइक्स और 48 हजार से ज्यादा दिखा जा चुका है। 
900 किमी का सफर किया था तय 

इस वीडियो को ट्विटर यूजर @saahilmenghani ने भी पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, यह वीडियो यूपी के कानपुर का है। यह शख्स एमपी से है, जो पंजाब से 900 किमी पैदल चलकर आया है। यह सफर उसने अपने घायल बेटे को कंधे पर उठाकर तय किया है।
जब बोझ ढोना जिंदगी का फलसफा हो गया 

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आईआरएस देव प्रकाश मीणा ने भी इस वीडियो को ट्विटर पर साझा किया था। लेकिन उन्होंने इसे बाद में डिलीट भी कर दिया। उन्होंने वीडियो में कैप्शन देते हुए लिखा, ढो रहा है आदमी कांधे पे खुद अपनी सलीब, जिंदगी का फलसफा जब बोझ ढोना हो गया। अदम गोंढवी को उन्होंने इस वीडियो के साथ टैग किया था।  
मामला क्या है?

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एक रिपोर्ट के अनुसार, राजकुमार मध्य प्रदेश के सिंगरौली गांव के रहने वाले हैं और लुधियाना में मजदूरी करते थे। उनका परीवार भी उनके साथ लुधियाना रहता था। जब फ़ैक्ट्री लॉकडाउन के कारण बंद हुईं तो रोटी का संकट उनके सामने खड़ा हो गया। उन्होंने मदद की गुहार स्थानीय प्रशासन से लगाई थी लेकिन सहयोग नहीं मिल पाया था। उसके बाद अपने बाकी 18 साथियों के साथ राजकुमार ने अपने घर जाने का फैसला पैदल से लिया। 
कंधे पर उठाया बारी-बारी से 

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इस मामले पर राजकुमार ने कहा कि 15 साल का उनका बेटा बृजेश बीमार था। उसका पैदल चलना मुश्किल था क्योंकि उसके गर्दन में चोट लगी थी। इस वजह से चारपाई में लिटाने के बाद उन्होंने बेटे को रस्सी के सहारे एक बल्ली बांधी। बता दें कि इस दौरान कुल 18 लोग पैदल अपने घर का सफर तय कर रहे थे। उस चारपाई को कंधे पर बारी-बारी से उठाकर चलते थे। लगभग 50 किमी का सफर वाहन से उन्होंने सफर तय किया था। 
पुलिस ने उनकी मदद की 

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एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रामादेवी हाईवे पर परिवार को इस तरह बच्चे को ले जाते हुए देखकर शुक्रवार दोपहर बाद थाना प्रभारी रामकुमार गुप्ता ने उन्हें रोककर पूछा तो पिता रोने लग गए। उसके बाद राजकुमार और उसके परिवार को भोजन थाना प्रभारी ने कराया और वाहन की व्यवस्था कराकर उन्हें घर भेजा।

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